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पारंपरिक चिकित्सा को विस्तार के लिए विज्ञान के जरिए विश्वास अर्जित करना होगा: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा को विज्ञान के जरिए विश्वास अर्जित कर वैश्विक स्तर पर विस्तार देना जरूरी है और अनुसंधान व नियामक ढांचे को मजबूत करना होगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि पारंपरिक चिकित्सा को अब तक वह स्थान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह वास्तव में हकदार है और इसके व्यापक प्रसार के लिए विज्ञान के जरिए लोगों का विश्वास जीतना जरूरी है। यहां आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अनुसंधान को मजबूत करने, डिजिटल तकनीकों के उपयोग और भरोसेमंद नियामक ढांचे के विकास से पारंपरिक चिकित्सा को और सशक्त बनाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी यह धारणा थी कि पारंपरिक चिकित्सा केवल वेलनेस या जीवनशैली तक सीमित है, लेकिन यह सोच तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा गंभीर स्थितियों में भी प्रभावी भूमिका निभा सकती है और भारत इसी दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है।

पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया की एक बड़ी आबादी लंबे समय से पारंपरिक चिकित्सा पर निर्भर रही है, लेकिन इसकी अपार संभावनाओं के बावजूद इसे वह सम्मान और पहचान नहीं मिली, जिसकी यह हकदार है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि विज्ञान के माध्यम से विश्वास अर्जित करना और इसकी पहुंच का विस्तार करना जरूरी है।

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प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत ने पारंपरिक चिकित्सा के वैज्ञानिक सत्यापन के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अश्वगंधा का सदियों से भारतीय चिकित्सा पद्धतियों में उपयोग होता आ रहा है और कोविड-19 महामारी के दौरान इसकी वैश्विक मांग में तेजी से वृद्धि हुई। भारत ने शोध और साक्ष्य-आधारित मान्यता के जरिए अश्वगंधा को विश्वसनीय रूप से आगे बढ़ाया है, जिस पर अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इसकी सुरक्षा, गुणवत्ता और उपयोग पर गहन विचार-विमर्श किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत समय-परीक्षित जड़ी-बूटियों को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य का हिस्सा बनाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा की स्वीकार्यता बढ़ाने की जिम्मेदारी सभी देशों की साझा जिम्मेदारी है।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कई अहम आयुष पहलों की शुरुआत की, जिनमें ‘माय आयुष इंटीग्रेटेड सर्विसेज पोर्टल’ (MAISP) और ‘आयुष मार्क’ शामिल हैं, जिसे आयुष उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के वैश्विक मानक के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने योग प्रशिक्षण पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी रिपोर्ट, ‘फ्रॉम रूट्स टू ग्लोबल रीच: 11 इयर्स ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन इन आयुष’ पुस्तक और अश्वगंधा पर स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।

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