राष्ट्रपति रेफरेंस सुनवाई : केंद्र का बयान – राज्यपाल भारत संघ का प्रतिनिधि नहीं
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ राष्ट्रपति रेफरेंस पर सुनवाई कर रही है। केंद्र ने कहा कि राज्यपाल भारत संघ का प्रतिनिधि नहीं, बल्कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं।
राष्ट्रपति रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई जारी है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ इस मामले पर विचार कर रही है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि राज्यपाल भारत संघ के प्रतिनिधि नहीं हैं, बल्कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं।
केंद्र के वकील ने तर्क दिया कि राज्यपाल का पद पूरी तरह संवैधानिक है और वह राज्य के प्रशासन में संतुलन बनाए रखने के लिए नियुक्त किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को भारत संघ का प्रवक्ता या प्रतिनिधि समझना गलत है। उनका दायित्व केवल राज्य के संविधान और कानून के अनुरूप कार्य करना है।
राष्ट्रपति रेफरेंस के तहत सुप्रीम कोर्ट यह तय कर रहा है कि राज्यपाल के अधिकारों और जिम्मेदारियों की संवैधानिक सीमाएँ क्या हैं और किन परिस्थितियों में वे राज्य सरकार के निर्णयों पर हस्तक्षेप कर सकते हैं।
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इस मामले की अहमियत इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि हाल के वर्षों में कई राज्यों में राज्यपाल और निर्वाचित सरकार के बीच टकराव देखने को मिला है। अदालत का फैसला भविष्य में केंद्र और राज्यों के संबंधों पर गहरा असर डाल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें ध्यान से सुनीं और संकेत दिया कि वह इस मुद्दे पर विस्तृत व्याख्या के साथ फैसला सुनाएगी। सुनवाई अभी जारी है।
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