फर्जी जमानती पहचान पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट सख्त, आदेशों की अनदेखी पर रजिस्ट्रार जनरल को बनाया पक्षकार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने फर्जी जमानतदार रोकने के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक सत्यापन लागू न होने पर नाराज़गी जताई और रजिस्ट्रार जनरल सहित सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए।
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने फर्जी जमानती पहचान और फर्जी बॉन्ड के बढ़ते मामलों को लेकर सख्त रुख अपनाते हुए अपने रजिस्ट्रार जनरल को मामले में पक्षकार (respondent) बना दिया है। अदालत ने यह कदम उन शिकायतों के बाद उठाया जिनमें जिला अदालतों में जमानतदारों की पहचान सत्यापित करने के लिए आधार-आधारित बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन प्रणाली लागू न किए जाने की बात कही गई थी।
सार्वजनिक हित याचिका (PIL) में आरोप लगाया गया है कि हाईकोर्ट के 2024 के स्पष्ट आदेशों के बावजूद पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अदालतों में बायोमेट्रिक सत्यापन प्रणाली को लागू नहीं किया गया। इस लापरवाही के चलते फर्जी पहचान का उपयोग कर जमानतदार बनाए जाने और फर्जी बॉन्ड जमा होने की समस्या लगातार बढ़ रही है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
सोमवार को अपलोड किए गए आदेश में मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी ने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ प्रशासन, UIDAI और NIC को भी नोटिस जारी किए। उनके प्रतिनिधियों ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा था, जिसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई तक विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
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अदालत ने कहा कि फर्जी जमानतदारों की समस्या न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता पर प्रहार करती है और ऐसी गतिविधियों को रोकना अत्यंत आवश्यक है। आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रक्रिया न केवल पहचान सत्यापित करेगी, बल्कि न्यायालयों में पारदर्शिता और सुरक्षा भी सुनिश्चित करेगी।
हाईकोर्ट ने राज्यों से पूछा है कि आदेशों का पालन अब तक क्यों नहीं हुआ और कब तक सभी जिला अदालतों में इस प्रणाली को पूरी तरह लागू किया जाएगा।
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