भारत-रूस संबंध इतिहास में रचे-बसे हैं: व्लादिमीर पुतिन
पुतिन की भारत यात्रा में दोनों देशों ने ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत किया। शांति प्रयासों, रक्षा, ऊर्जा, तकनीक और प्रवासन सहयोग पर महत्वपूर्ण चर्चा और समझौते हुए।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया। गुरुवार को पीएम मोदी स्वयं पालम हवाईअड्डे पहुंचे और पुतिन को पारंपरिक नृत्यों के बीच गले लगाकर अभिवादन किया। यह पुतिन की 2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली भारत यात्रा है।
हैदराबाद हाउस में आयोजित 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। सम्मेलन के बाद साझा प्रेस वार्ता में भारत और रूस ने माइग्रेशन और मोबिलिटी पर महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए।
तेल और गैस क्षेत्र में भारत की बड़ी उपलब्धि की दिशा में, ओएनजीसी रूस के सखालिन-1 प्रोजेक्ट में अपनी 20% हिस्सेदारी को बरकरार रखने के करीब है। स्रोतों के अनुसार, भारतीय कंपनियों के रूस में फंसे लाभांश का उपयोग त्याग निधि (abandonment fund) में भुगतान हेतु किया जाएगा, जिससे परियोजना से जुड़े पर्यावरण-सुरक्षा कार्य सुनिश्चित हो सकेंगे।
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बैठक के दौरान पुतिन ने भारत-रूस संबंधों की गहराई और ऐतिहासिक मजबूती पर जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों की साझेदारी “शब्दों पर नहीं, बल्कि ठोस आधार” पर टिकी है। उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता, विमानन, उच्च तकनीक, रक्षा सहयोग और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे क्षेत्रों में भविष्य में और मजबूत सहयोग की घोषणा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने दोहराया कि भारत किसी संघर्ष के पक्ष में नहीं, बल्कि शांति के पक्ष में है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान संवाद और कूटनीति के माध्यम से होना चाहिए। पुतिन ने भी स्वीकार किया कि रूस एक शांतिपूर्ण समाधान के लिए प्रयासरत है और भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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