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राधाकृष्णन ने जीत को बताया राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय

नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने जीत को राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय बताया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता और विपक्ष दोनों जरूरी हैं, जैसे सिक्के के दो पहलू।

नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने अपनी ऐतिहासिक जीत को राष्ट्रवादी विचारधारा की जीत बताया है। उन्होंने कहा कि यह जनसमर्थन केवल किसी दल की नहीं बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक भावना का प्रतीक है।

राधाकृष्णन ने अपने संबोधन में कहा, “लोकतंत्र में सत्तारूढ़ दल और विपक्ष दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। यह एक सिक्के के दो पहलुओं की तरह हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि लोकतंत्र का मूल तत्व सह-अस्तित्व और पारस्परिक सम्मान है।

उन्होंने कहा कि उनकी जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की जनता की आकांक्षाओं और विश्वास की जीत है। राधाकृष्णन ने आश्वासन दिया कि वे संविधान की मर्यादा को सर्वोच्च रखकर कार्य करेंगे और सदन को निष्पक्ष, प्रभावी और जनोन्मुख बनाएंगे।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि उनका अनुभव और निष्ठा उपराष्ट्रपति पद की गरिमा और भी बढ़ाएगी। वहीं, विपक्षी नेताओं ने भी लोकतांत्रिक परंपरा का सम्मान करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दीं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राधाकृष्णन की यह टिप्पणी लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती का संकेत है, जिसमें सत्ता और विपक्ष दोनों ही आवश्यक स्तंभ माने जाते हैं। उनका यह दृष्टिकोण आने वाले समय में संसदीय कार्यवाही को अधिक संतुलित और रचनात्मक बना सकता है।

जनता और समर्थकों के बीच राधाकृष्णन की इस जीत को लेकर उत्साह का माहौल है। इसे देश की बदलती राजनीतिक सोच और राष्ट्रवादी विचारधारा की प्रबलता का प्रतीक माना जा रहा है।

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