सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों की भागीदारी सिर्फ 1.9% क्यों? राहुल गांधी ने उठाया सवाल
राहुल गांधी ने पूछा कि जब नियमों में 10–25% नियुक्ति का प्रावधान है, तो सरकारी नौकरियों में केवल 1.9% पूर्व सैनिकों को ही जगह क्यों मिल रही है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों की बेहद कम भागीदारी पर सवाल उठाया है। उन्होंने पूछा कि जब नियमों के तहत सेवानिवृत्त सैनिकों के लिए 10 से 25 प्रतिशत तक आरक्षण या नियुक्ति का प्रावधान है, तो फिर सिर्फ 1.9 प्रतिशत पूर्व सैनिकों को ही सरकारी नौकरियां क्यों मिल पा रही हैं।
यह सवाल सोमवार (29 दिसंबर 2025) को रक्षा संबंधी स्थायी समिति की बैठक के दौरान उठाया गया। इस समिति के अध्यक्ष भाजपा सांसद राधा मोहन सिंह हैं। बैठक का उद्देश्य पूर्व सैनिकों के पुनर्वास, स्वास्थ्य सुविधाओं और उनके लिए उपलब्ध अन्य अवसरों की समीक्षा करना था। समिति में राहुल गांधी सहित कई सांसद सदस्य हैं।
बैठक के दौरान राहुल गांधी और अन्य सदस्यों ने पूर्व सैनिकों को होने वाली कई व्यावहारिक समस्याओं को सामने रखा। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों को सैन्य अस्पतालों में इलाज कराने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में उन्हें निजी अस्पतालों में रेफर किया जाता है, लेकिन वहां भी इलाज और भर्ती को लेकर गंभीर दिक्कतें आती हैं।
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सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने बताया कि जब पूर्व सैनिकों को निजी अस्पतालों में भेजा जाता है, तो कई अस्पताल सरकार द्वारा बकाया भुगतान का हवाला देकर इलाज से इनकार कर देते हैं। इससे पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को न केवल आर्थिक, बल्कि मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है।
समिति के सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि देश की सेवा करने वाले सैनिकों के लिए पुनर्वास और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहतर होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से मांग की कि पूर्व सैनिकों के लिए निर्धारित नौकरी के कोटे को वास्तविक रूप से लागू किया जाए और इलाज से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान निकाला जाए।
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