राजस्थान हाईकोर्ट का आदेश: कोचिंग के लिए स्कूल छोड़ने से रोके शिक्षा बोर्ड
राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा बोर्डों को निर्देश दिया कि छात्र कोचिंग के लिए स्कूल न छोड़ें। अदालत ने उपस्थिति सुनिश्चित करने और शिक्षा के संतुलित विकास पर जोर दिया।
राजस्थान हाईकोर्ट ने शिक्षा बोर्डों को सख्त निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि विद्यार्थी कोचिंग क्लासेज़ के लिए नियमित स्कूल शिक्षा को न छोड़ें। अदालत ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य बच्चों को संतुलित और संपूर्ण विकास का अवसर देना है, जिसमें विद्यालयी शिक्षा अनिवार्य भूमिका निभाती है। केवल कोचिंग संस्थानों पर निर्भरता न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि बच्चों के सामाजिक और मानसिक विकास में भी बाधा डालती है।
यह आदेश उन मामलों की सुनवाई के दौरान आया, जहां यह आरोप लगाया गया कि बड़ी संख्या में छात्र स्कूल छोड़कर सीधे कोचिंग संस्थानों में जाते हैं। अदालत ने इसे शिक्षा प्रणाली के लिए गंभीर चुनौती बताते हुए कहा कि शिक्षा बोर्डों और सरकार की जिम्मेदारी है कि वे छात्रों की उपस्थिति सुनिश्चित करें और इस प्रवृत्ति पर रोक लगाएं।
हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग से स्पष्ट रूप से कहा है कि वे स्कूलों में कक्षा उपस्थिति के लिए सख्त मानक तय करें और कोचिंग संस्थानों के साथ समन्वय बनाकर यह सुनिश्चित करें कि छात्र सुबह से शाम तक विद्यालय में पढ़ाई करें। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि कोचिंग और विद्यालय शिक्षा में संतुलन बनाने के लिए समयबद्ध व्यवस्था की जाए।
और पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत बढ़ाने से इंकार के बाद आसाराम ने किया सरेंडर
न्यायालय ने शिक्षा बोर्डों से यह भी अपेक्षा जताई कि वे अभिभावकों को जागरूक करें कि विद्यालय केवल परीक्षा की तैयारी का केंद्र नहीं बल्कि बच्चों के चरित्र, व्यक्तित्व और सामाजिक जिम्मेदारी का आधार है।
इस निर्णय को शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
और पढ़ें: गुजरात में कृषि विभाग को एंटी-प्लेजरिज़्म नीति बनाने का निर्देश