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बिहार में उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी में बगावत तेज, दो और विधायक अलग-थलग, 8 पदाधिकारियों का इस्तीफा

उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएम में असंतोष बढ़ता दिख रहा है। दो विधायकों की दूरी और आठ पदाधिकारियों के इस्तीफे से पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

बिहार में उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) में असंतोष एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है। पार्टी के भीतर बढ़ती बगावत के संकेत उस समय और स्पष्ट हो गए, जब दो विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष द्वारा पटना में आयोजित एक कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। यह घटनाक्रम बुधवार (24 दिसंबर 2025) को सामने आया।

दिनारा से विधायक आलोक कुमार सिंह और मधुबनी से विधायक माधव आनंद ने, आरएलएम नेता सुनील कुमार महतो के साथ, पार्टी अध्यक्ष द्वारा आयोजित डिनर पार्टी में शिरकत नहीं की। इन विधायकों की अनुपस्थिति को पार्टी के भीतर चल रही नाराजगी के तौर पर देखा जा रहा है। इससे पहले भी पार्टी में मतभेद और असहमति की चर्चाएं सामने आती रही हैं।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सहयोगी आरएलएम के कई नेताओं ने हाल के दिनों में परोक्ष रूप से अपनी नाराजगी जाहिर की थी। बताया जा रहा है कि पार्टी के भीतर असंतोष की एक बड़ी वजह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को पंचायती राज मंत्री बनाए जाने का फैसला है।

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पार्टी नेताओं का कहना है कि दीपक प्रकाश अभी राज्य विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं, इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद दिया गया, जिससे संगठन के कई वरिष्ठ और जमीनी नेताओं में असहजता है। इसी फैसले को लेकर पार्टी के भीतर सवाल उठ रहे हैं और नेतृत्व की कार्यशैली पर भी चर्चा हो रही है।

सूत्रों के अनुसार, हाल ही में पार्टी के आठ पदाधिकारियों ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है, जिससे संकट और गहराता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द ही नेतृत्व द्वारा असंतोष को दूर करने के प्रयास नहीं किए गए, तो इसका असर पार्टी की एकजुटता और आगामी राजनीतिक रणनीति पर पड़ सकता है।

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