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CAPFs में आईपीएस डिप्युटेशन घटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर: सरकार ने लोकसभा में बताया

सरकार ने लोकसभा में बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आईपीएस अधिकारियों के CAPFs में डिप्युटेशन घटाने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की गई है।

सरकार ने लोकसभा में जानकारी दी है कि उसने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) में आईपीएस अधिकारियों के डिप्युटेशन को कम करने के सुप्रीम कोर्ट के मई 2025 के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस फैसले में कहा था कि CAPFs में वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड या इंस्पेक्टर जनरल की रैंक तक आईपीएस अधिकारियों की डिप्युटेशन पोस्ट को "धीरे-धीरे दो साल के भीतर कम किया जाना चाहिए।"

CAPFs में आईपीएस अधिकारियों की उपस्थिति को लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि इन बलों को अधिक से अधिक गैर-आईपीएस कर्मियों के नेतृत्व में लाया जाना चाहिए ताकि उनका स्वरूप और कामकाज अधिक स्थानीय और विशेषज्ञ बन सके।

सरकार ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है और कहा है कि डिप्युटेशन को कम करने के लिए अधिक व्यावहारिक और चरणबद्ध योजना बनानी चाहिए, जिससे बलों की दक्षता और कार्यक्षमता प्रभावित न हो। इस कारण सरकार ने समीक्षा याचिका दायर की है ताकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार किया जा सके।

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विशेषज्ञों का मानना है कि CAPFs की संरचना और संचालन में बदलाव की जरूरत है, लेकिन यह भी महत्वपूर्ण है कि इससे बलों की तैयारी और सुरक्षा पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

अगले कुछ महीनों में इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है, जिसमें यह तय होगा कि आईपीएस डिप्युटेशन को किस हद तक कम किया जाएगा और किस तरह से बलों की कार्यक्षमता सुनिश्चित की जाएगी।

इस विवादित मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है ताकि सुरक्षा बलों की मजबूती बनी रहे और प्रशासनिक सुधार भी हो सके।

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