राज्यसभा में मणिपुर में जल प्रदूषण कानून लागू करने का प्रस्ताव, विपक्ष ने चुनाव कराने की मांग उठाई
राज्यसभा ने जल प्रदूषण कानून मणिपुर में लागू करने पर चर्चा की, जबकि विपक्ष ने राष्ट्रपति शासन समाप्त कर तुरंत चुनाव कराने की मांग उठाई। सरकार ने अधिनियम को राज्यहित में बताया।
राज्यसभा ने बुधवार (3 दिसंबर 2025) को जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) संशोधन अधिनियम, 2024 को मणिपुर में लागू करने के प्रस्ताव पर चर्चा शुरू की। प्रस्ताव पर्यावरण और वन मंत्री भूपेंद्र यादव द्वारा सदन में रखा गया। उन्होंने कहा कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है, इसलिए यह अधिनियम संसद द्वारा अपनाया जाना आवश्यक है।
चर्चा के दौरान विपक्ष के सांसदों ने मणिपुर में तुरंत चुनाव कराने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस की सांसद सुष्मिता देव ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह कार्य मणिपुर विधानसभा को करना था, लेकिन विधानसभा निलंबित है और राज्य में राष्ट्रपति शासन जारी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं और आंतरिक रूप से विस्थापित लोग राजभवन के बाहर विरोध कर रहे हैं, तब जल प्रदूषण अधिनियम को लागू करना किस प्रकार राज्य की सहायता है।
कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने कहा कि प्रस्ताव इसलिए संसद में लाना पड़ा है क्योंकि मणिपुर की स्थिति अब भी सामान्य नहीं हुई है। उनके अनुसार राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है और केंद्र ने इस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्थिति को संभालने के लिए देर से राज्य का दौरा किया और वह भी चुनावी उद्देश्यों से।
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डीएमके सांसद पी. विल्सन ने कहा कि “मणिपुर वेंटिलेटर पर है” और लोकतंत्र की बहाली के लिए तत्काल चुनाव आवश्यक हैं। उन्होंने पूछा कि विधानसभा कब तक निलंबित रहेगी और क्या संसद उसकी भूमिका अपने हाथ में लेती रहेगी।
वहीं, भाजपा सांसद संजाओबा लईशेम्बा ने प्रस्ताव का स्वागत किया और कहा कि राष्ट्रपति शासन के तहत संसद को मणिपुर में अधिनियम लागू करने का अधिकार है।
संशोधन अधिनियम, 2024 का उद्देश्य जल प्रदूषण से संबंधित मामूली अपराधों को अपराधमुक्त करना, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के अध्यक्षों की सेवा शर्तें तय करने का अधिकार केंद्र को देना और कुछ औद्योगिक इकाइयों को प्रतिबंधों से छूट प्रदान करना है।
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