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बाबरी मस्जिद के नाम पर राजनीति साजिश है, इससे समाज में दरार बढ़ेगी: आरएसएस प्रमुख

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि बाबरी मस्जिद को लेकर दोबारा विवाद खड़ा करना राजनीतिक साजिश है, जिससे केवल हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच दूरी और तनाव बढ़ेगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने बाबरी मस्जिद के नाम पर फिर से विवाद खड़ा करने की कोशिशों को राजनीतिक साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयास केवल समाज के दो समुदायों के बीच दरार को और गहरा करेंगे। उनका यह बयान निलंबित तृणमूल कांग्रेस सांसद हुमायूं कबीर द्वारा पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में ‘बाबरी मस्जिद’ के निर्माण की अपील के बाद सामने आया है।

रविवार (21 दिसंबर 2025) को कोलकाता में आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि बाबरी मस्जिद से जुड़ा विवाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ समाप्त हो चुका है और उसी स्थल पर राम मंदिर का निर्माण भी हो गया है। ऐसे में इस मुद्दे को दोबारा उठाना किसी भी तरह से देशहित में नहीं है।

उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने की कोशिश करके विवाद को दोबारा शुरू करना एक राजनीतिक साजिश है। यह सब वोट बैंक की राजनीति के लिए किया जा रहा है। यह न तो मुसलमानों के हित में है और न ही हिंदुओं के हित में।”

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आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जिस विवाद का अंत हो चुका है और जहां आपसी सौहार्द की भावना बनी थी, उसे फिर से उभारना समाज में शांति को नुकसान पहुंचाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की राजनीति केवल तनाव बढ़ाने का काम करेगी और दोनों समुदायों के बीच विश्वास को कमजोर करेगी।

मोहन भागवत ने यह भी संकेत दिया कि देश को आगे बढ़ने के लिए बीते विवादों को पीछे छोड़कर आपसी भाईचारे और सामाजिक एकता पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करना बेहद खतरनाक है और इससे देश की सामाजिक संरचना को नुकसान पहुंचता है।

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