×
 

संस्कृत को संचार का माध्यम बनाना जरूरी: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संस्कृत को संचार का प्रमुख माध्यम बनाने की जरूरत बताई; कहा यह भारतीय भाषाओं की जननी है और संस्कृति से जुड़ाव व राष्ट्रीय एकता के लिए आवश्यक है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने संस्कृत भाषा के महत्व पर जोर देते हुए कहा है कि इसे केवल शास्त्रीय भाषा के रूप में नहीं बल्कि दैनिक जीवन और संचार का प्रमुख माध्यम बनाया जाना चाहिए।

भागवत ने कहा कि संस्कृत सभी भारतीय भाषाओं की जननी है और भारतीय संस्कृति की जड़ों को समझने के लिए इसका ज्ञान बेहद आवश्यक है। उन्होंने कहा, “संस्कृत केवल मंदिरों और ग्रंथों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसे बोलचाल, शिक्षा, विज्ञान और तकनीक में भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी संस्कृति से गहराई से जुड़ सकें।”

उन्होंने यह भी बताया कि आज के समय में संस्कृत को आधुनिक माध्यमों से जोड़ना जरूरी है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया, शिक्षा प्रणाली और तकनीकी नवाचारों के जरिए संस्कृत को एक जीवंत भाषा बनाया जा सकता है।

और पढ़ें: आईएमईसी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर के लिए अमेरिकी अधिकारियों का भारत दौरा

आरएसएस प्रमुख का मानना है कि जब तक संस्कृत आम बोलचाल और सरकारी संचार में प्रयोग नहीं होगी, तब तक इसका पूर्ण विकास नहीं हो सकेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने में संस्कृत की बड़ी भूमिका है।

शिक्षा विशेषज्ञों ने भी सुझाव दिया है कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों में संस्कृत को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों के साथ पढ़ाया जाना चाहिए, जिससे छात्र इसे बोली और लिखी जाने वाली भाषा के रूप में अपनाएं।

और पढ़ें: छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी: केरल भाजपा प्रमुख राजीव चंद्रशेखर ने त्रिशूर आर्चबिशप से की मुलाकात

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share