नाबालिग मुस्लिम लड़की की शादी पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की
सुप्रीम कोर्ट ने NCPCR की याचिका खारिज कर हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा जिसमें मुस्लिम नाबालिग लड़की की शादी को व्यक्तिगत कानून के तहत वैध माना गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि व्यक्तिगत कानून के तहत मुस्लिम नाबालिग लड़की की शादी वैध हो सकती है।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरथना की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि NCPCR के पास इस मामले में कानूनी आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि यह मामला व्यक्तिगत कानून से जुड़ा है और आयोग का इसमें सीधा हित नहीं बनता।
पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि किशोर-किशोरियों के बीच सहमति से बने संबंधों को अनावश्यक रूप से अपराध की श्रेणी में डालने से बचना चाहिए। अदालत ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों को अपराधीकरण करने से सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
और पढ़ें: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹8,307.74 करोड़ की भुवनेश्वर बायपास परियोजना को मंजूरी दी
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार, मुस्लिम व्यक्तिगत कानून में, जब लड़की शारीरिक और मानसिक रूप से परिपक्व हो जाती है, तो वह विवाह के लिए पात्र मानी जा सकती है, भले ही उसकी आयु 18 वर्ष से कम हो।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय व्यक्तिगत कानून और बाल विवाह निरोधक कानून के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला धार्मिक स्वतंत्रता और किशोरावस्था में सहमति के मामलों पर न्यायपालिका की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
और पढ़ें: राजस्थान के कोटा-बूंदी में ₹1,507 करोड़ की हवाई अड्डा परियोजना को मंत्रिमंडल की मंजूरी