अदालत ने सहारा से अडानी को संपत्ति बिक्री पर उठे 34 दावों पर जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा से 34 दावों पर चार सप्ताह में जवाब मांगा, जो अडानी को 88 संपत्तियों की प्रस्तावित बिक्री से जुड़े हैं। अदालत इन दावों की कानूनी वैधता जांचेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को उसकी प्रस्तावित संपत्ति बिक्री पर उठे नए आपत्तियों के संबंध में चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह फैसला उस समय आया है जब सहारा की परिसंपत्तियों के परिसमापन (लिक्विडेशन) को लेकर कानूनी जांच एक महत्वपूर्ण चरण में पहुँच चुकी है।
सोमवार (17 नवंबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता और अमीकस क्यूरी शेखर नाफड़े द्वारा प्रस्तुत एक प्रतिनिधित्व पर विचार करते हुए सहारा समूह को सुनवाई का अवसर दिया। नाफड़े ने अदालत को बताया कि उन्हें सहारा इंडिया कमर्शियल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (SICCL) द्वारा बेची जाने वाली संपत्तियों पर कम से कम 34 अलग-अलग दावे प्राप्त हुए हैं। सहारा इन संपत्तियों को अडानी प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड को बेचना चाहता है।
उन्होंने बताया कि SICCL ने सुप्रीम कोर्ट से 88 संपत्तियों की बिक्री की अनुमति मांगते समय इन 34 दावों की जानकारी छुपाई थी। इन परिसंपत्तियों में महाराष्ट्र स्थित ऐंबी वैली और लखनऊ स्थित सहारा शहर जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाएं शामिल हैं। अदालत ने इस तथ्य पर चिंता व्यक्त की कि इतने बड़े दावों को आवेदन दाखिल करते समय उजागर नहीं किया गया।
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मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश की पीठ ने सहारा को चार सप्ताह में विस्तृत जवाब देने का अवसर देते हुए कहा कि सभी दावों की जांच आवश्यक है क्योंकि इनसे संपत्तियों की बिक्री प्रक्रिया और उनकी वास्तविक स्वामित्व स्थिति प्रभावित हो सकती है।
यह मामला सहारा की परिसंपत्तियों की बिक्री, उनके खिलाफ लंबित दावों, और अडानी समूह द्वारा प्रस्तावित खरीद प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। अदालत आगे की सुनवाई में इन दावों की विधिक स्थिति की विस्तार से समीक्षा करेगी।
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