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वैज्ञानिकों ने ई.कोलाई बैक्टीरिया को बनाया पारा सेंसर

इम्पीरियल कॉलेज लंदन और झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ई.कोलाई बैक्टीरिया को जेनेटिक इंजीनियरिंग से पारा सेंसर में बदला। यह स्व-चालित जैविक उपकरण तीन घंटे में बेहद कम पारे का भी पता लगा सकता है।

इम्पीरियल कॉलेज लंदन और झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक नई सफलता हासिल की है। उन्होंने जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए ई.कोलाई (E. coli) बैक्टीरिया को ऐसा जैविक सेंसर बनाया है, जो पारे (Mercury) की उपस्थिति का पता लगाकर सीधा इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से इंटरफेस कर सकता है। यह खोज सस्ते और प्रोग्राम योग्य बायो-इलेक्ट्रॉनिक उपकरण विकसित करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।

अध्ययन में पाया गया कि केवल 25 नैनोमोल पारा — जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षा सीमा से काफी कम है — भी तीन घंटे के भीतर एक स्पष्ट विद्युत धारा उत्पन्न करता है। इसका मतलब है कि यह जैव-सेंसर बेहद संवेदनशील है और पारे की बहुत छोटी मात्रा का भी सटीक पता लगा सकता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक न केवल पारे जैसे खतरनाक प्रदूषकों का पता लगाने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य में अन्य रसायनों और धातुओं की निगरानी के लिए भी अनुकूलित की जा सकती है। चूंकि यह बैक्टीरिया स्वयं ऊर्जा उत्पन्न करके संकेत पैदा करता है, इसलिए यह पूरी तरह स्व-चालित (Self-powered) है और बाहरी बैटरी की जरूरत नहीं होती।

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विशेषज्ञ मानते हैं कि इस शोध से ऐसे सस्ते, पोर्टेबल और प्रोग्राम योग्य सेंसर विकसित किए जा सकते हैं, जिन्हें पर्यावरण निगरानी, औद्योगिक कचरा प्रबंधन और स्वास्थ्य परीक्षण जैसे क्षेत्रों में उपयोग किया जा सकेगा।

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