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सात राज्यों ने जन विश्वास अधिनियम की तर्ज पर बनाए नए कानून, व्यापार को मिलेगा बढ़ावा

सात राज्यों ने जन विश्वास अधिनियम के अनुरूप कानून बनाए, छोटे अपराधों को गैर-आपराधिक किया और जुर्माने लागू किए। इसका उद्देश्य व्यापार सुगमता, कम मुकदमेबाजी और निवेश माहौल सुधारना है।

देश के सात एनडीए-शासित राज्यों ने जन विश्वास अधिनियम (Jan Vishwas Act) की तर्ज पर अपने-अपने कानूनों और अध्यादेशों को लागू कर दिया है, जो अब तक राज्य स्तर पर किया गया सबसे बड़ा समन्वित विनियमन-उन्मूलन (deregulation) अभियान माना जा रहा है। इन सुधारों का उद्देश्य छोटे-मोटे अपराधों को गैर-आपराधिक बनाना, जेल के प्रावधानों को हटाते हुए जुर्माने को लागू करना, और राज्य स्तर पर निवेश तथा व्यापार माहौल को अधिक सरल, पूर्वानुमेय और अनुकूल बनाना है।

अधिकारियों के अनुसार, शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को बताया गया कि ये सुधार “विश्वास-आधारित शासन” की दिशा में संरचनात्मक बदलाव का संकेत हैं, जिसमें तकनीकी या प्रक्रियागत त्रुटियों के लिए अनावश्यक आपराधिक प्रावधानों को समाप्त किया जा रहा है। इन सुधारों से उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा, मुकदमेबाजी कम होगी, नियामक स्पष्टता बढ़ेगी और राज्यों में निवेश का वातावरण अधिक स्थिर होगा।

महाराष्ट्र ने जन विश्वास अध्यादेश 2025 को मंजूरी दी है, जिसके तहत श्रम, राजस्व और सार्वजनिक स्वास्थ्य सहित पांच विभागों में सात नियमों में संशोधन किया गया, ताकि दंड प्रणाली को आधुनिक बनाया जा सके।
मध्य प्रदेश 24 अलग-अलग अधिनियमों की 144 धाराओं में संशोधन कर रहा है, जिससे आपराधिक दंड हटाकर अनुपालन आवश्यकताओं को सरल बनाया जा सके।

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छत्तीसगढ़ विधानसभा ने जुलाई 2025 में अपना जन विश्वास विधेयक पारित किया, जिसमें आठ अधिनियमों की 163 धाराओं को गैर-आपराधिक बनाया गया और जेल की सजा के स्थान पर सरल मौद्रिक दंड लागू किए गए।
गुजरात ने 11 कानूनों की 516 प्रावधानों में संशोधन किया — यह इस वर्ष का सबसे बड़ा विधायी पुनर्गठन माना जा रहा है।

हरियाणा ने 42 अधिनियमों की 164 धाराओं को गैर-आपराधिक बनाया, जो राज्यों में सबसे व्यापक विभागीय सुधार है।
ओडिशा ने 10 विभागों में 15 प्रमुख प्रावधानों को कवर करते हुए जन विश्वास अध्यादेश जारी किया, ताकि अनावश्यक दंडात्मक कार्रवाई कम की जा सके और सेवा वितरण आसान बनाया जा सके।
त्रिपुरा ने 2025 में 10 कानूनों की 16 धाराओं में संशोधन किया और पांच पुराने प्रावधानों को पूरी तरह समाप्त कर दिया।

इन सभी सुधारों का लक्ष्य व्यापार को सुगम बनाना और जनता तथा सरकार के बीच भरोसे को मजबूत करना है।

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