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प्रसिद्ध कन्नड़ उपन्यासकार एस.एल. भैरप्पा का निधन

कन्नड़ साहित्यकार एस.एल. भैरप्पा का निधन भारतीय साहित्य की बड़ी क्षति है। पद्म भूषण और सरस्वती सम्मान से सम्मानित उनके उपन्यास समाज, संस्कृति और इतिहास की गहन पड़ताल करते थे।

प्रसिद्ध कन्नड़ उपन्यासकार एस.एल. भैरप्पा का निधन हो गया है। वे भारतीय साहित्य की दुनिया में एक महत्वपूर्ण और सम्मानित नाम थे। अपने गहन लेखन, शोधपूर्ण शैली और सामाजिक-सांस्कृतिक विषयों पर केंद्रित उपन्यासों के लिए वे विशेष रूप से जाने जाते थे।

एस.एल. भैरप्पा को भारत सरकार ने पद्म भूषण और पद्म श्री जैसे प्रतिष्ठित नागरिक सम्मानों से नवाज़ा था। इसके अलावा उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान सहित अनेक साहित्यिक सम्मान भी प्राप्त हुए। उनके लेखन ने न केवल कन्नड़ साहित्य को समृद्ध किया बल्कि भारतीय साहित्य की विविधता और गहराई को भी नए आयाम दिए।

उनके प्रमुख उपन्यासों में परवा, उत्तरकाण्ड, तब्बलियु नीनाड़े मगलु और साक्षात्कार जैसे ग्रंथ शामिल हैं, जो पाठकों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे। भैरप्पा के उपन्यासों में भारतीय इतिहास, संस्कृति, दर्शन और समाजशास्त्र की गहरी छाप देखने को मिलती थी। उन्होंने विवादास्पद और कठिन विषयों को भी अपने लेखन में जगह दी और उन्हें समाज के सामने विचार-विमर्श के रूप में प्रस्तुत किया।

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उनकी रचनाओं ने हमेशा पाठकों को सोचने पर मजबूर किया। साहित्य के माध्यम से उन्होंने भारतीय परंपराओं और मूल्यों के साथ-साथ आधुनिक समाज की चुनौतियों को भी गहराई से उजागर किया। भैरप्पा को भारतीय साहित्य की उस परंपरा का हिस्सा माना जाता है जिसने साहित्य को केवल भावनात्मक अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि विचार और चिंतन का मंच बनाया।

उनका निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। आने वाली पीढ़ियां भी उनके कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगी।

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