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मानवाधिकार मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का श्रीलंका ने किया विरोध, घरेलू न्याय प्रक्रिया के समर्थन की अपील

श्रीलंका ने मानवाधिकार मामलों में अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप का विरोध करते हुए कहा कि बाहरी पहलें राष्ट्रीय प्रयासों में बाधा डालेंगी और समाज में विभाजन पैदा करेंगी। उसने घरेलू न्याय प्रक्रिया का समर्थन मांगा।

श्रीलंका ने मानवाधिकार मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली कार्रवाइयों का कड़ा विरोध किया है और वैश्विक समुदाय से घरेलू न्याय प्रक्रिया का समर्थन करने की अपील की है। श्रीलंकाई विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि बाहरी हस्तक्षेप और पहलें देश में चल रहे राष्ट्रीय प्रयासों को बाधित करती हैं और जनता के बीच विभाजन को और गहरा कर सकती हैं।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, श्रीलंका वर्तमान में युद्धकालीन घटनाओं और मानवाधिकार उल्लंघनों से जुड़े मामलों पर घरेलू स्तर पर न्याय और जवाबदेही की प्रक्रिया चला रहा है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा हस्तक्षेप करना या नई पहल शुरू करना न केवल इस प्रक्रिया को कमजोर करेगा बल्कि सामाजिक ध्रुवीकरण को भी बढ़ाएगा।

श्रीलंका ने जोर देकर कहा कि किसी भी देश की संप्रभुता का सम्मान करना आवश्यक है और न्याय से जुड़े मामलों को उसी देश की संस्थाओं के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार अपने नागरिकों को न्याय दिलाने और राष्ट्रीय मेल-मिलाप की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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मानवाधिकार के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं और कुछ देश लंबे समय से श्रीलंका पर दबाव डालते रहे हैं। उनका आरोप है कि श्रीलंका ने गृहयुद्ध के दौरान हुए कथित मानवाधिकार उल्लंघनों पर पर्याप्त कार्रवाई नहीं की। हालांकि, श्रीलंका का कहना है कि वह अपनी न्याय व्यवस्था और घरेलू तंत्र के जरिए इन मामलों को संभालने में सक्षम है।

इस बयान के बाद यह साफ हो गया है कि श्रीलंका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी तरह की दबावपूर्ण कार्रवाई को स्वीकार नहीं करेगा और अपनी घरेलू प्रक्रिया को ही प्राथमिकता देगा।

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