श्रीलंकाई तमिलों को दीर्घकालिक वीजा का लाभ नहीं मिलेगा
भारत सरकार ने पंजीकृत श्रीलंकाई तमिलों से 'अवैध प्रवासी' का टैग हटाया है, लेकिन उन्हें अभी दीर्घकालिक वीजा या भारतीय नागरिकता का सीधा लाभ नहीं मिलेगा।
भारत सरकार ने हाल ही में एक अहम आदेश जारी किया है, जिसमें 9 जनवरी 2015 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले और पंजीकृत श्रीलंकाई तमिल नागरिकों से ‘अवैध प्रवासी’ का टैग हटा दिया गया है। हालांकि, इस कदम से उन्हें तत्काल भारतीय नागरिकता या दीर्घकालिक वीजा (Long-Term Visa - LTV) का लाभ नहीं मिलेगा।
गृह मंत्रालय के इस आदेश के अनुसार, ऐसे श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी जो भारत में आधिकारिक रूप से पंजीकृत हैं, अब कानूनी रूप से ‘अवैध प्रवासी’ की श्रेणी में नहीं आएंगे। यह बदलाव उन्हें प्रशासनिक और कानूनी स्तर पर कुछ सहूलियत प्रदान करेगा, जैसे पहचान और पंजीकरण संबंधी औपचारिकताएँ। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें सीधे दीर्घकालिक वीजा या नागरिकता मिल जाएगी।
भारत में तमिलनाडु और कुछ अन्य राज्यों में हजारों की संख्या में श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी दशकों से शरण लिए हुए हैं। लंबे समय से उनकी मांग रही है कि उन्हें भारतीय नागरिकता और स्थायी निवास की सुविधा मिले। हालांकि, सरकार का यह स्पष्ट रुख है कि नागरिकता का मामला अलग प्रक्रिया के तहत आता है और यह आदेश सिर्फ उनकी कानूनी स्थिति को स्पष्ट करने तक सीमित है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि ‘अवैध प्रवासी’ का टैग हटना एक सकारात्मक कदम है, क्योंकि इससे इन शरणार्थियों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण और सरकारी व्यवहार में सुधार होगा। लेकिन जब तक नागरिकता या दीर्घकालिक वीजा पर कोई ठोस निर्णय नहीं होता, तब तक इन तमिल शरणार्थियों की स्थिति अनिश्चित बनी रहेगी।
इस आदेश से तमिलनाडु सरकार और शरणार्थी समूहों ने राहत की भावना जताई है, लेकिन उन्होंने केंद्र सरकार से आगे बढ़कर ठोस समाधान की मांग भी दोहराई है।
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