सुदर्शन चक्र परियोजना के लिए तीनों सेनाओं का व्यापक सहयोग आवश्यक: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल चौहान
CDS जनरल चौहान ने कहा कि ‘सुदर्शन चक्र’ एयर डिफेंस परियोजना के लिए तीनों सेनाओं का समन्वित प्रयास जरूरी होगा, और यह इजरायल के ‘आयरन डोम’ जैसी मिसाइल शील्ड होगी।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि प्रस्तावित ‘सुदर्शन चक्र’ परियोजना को सफल बनाने के लिए थलसेना, नौसेना और वायुसेना—तीनों सेनाओं का व्यापक और समन्वित प्रयास जरूरी होगा। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि यह परियोजना इजरायल के ‘आयरन डोम’ ऑल-वेदर एयर डिफेंस सिस्टम की तर्ज पर विकसित की जाएगी, जिसे एक बेहद प्रभावी मिसाइल शील्ड माना जाता है।
जनरल चौहान के अनुसार, आधुनिक युद्ध में हवाई हमलों और मिसाइल खतरों से सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए देश को स्वदेशी, बहु-स्तरीय और त्वरित प्रतिक्रिया देने वाला रक्षा कवच चाहिए। ‘सुदर्शन चक्र’ इसी दृष्टिकोण से तैयार किया जा रहा है ताकि किसी भी मौसम में, किसी भी दिशा से आने वाले हवाई खतरों को तुरंत निष्क्रिय किया जा सके।
उन्होंने कहा कि यह परियोजना केवल तकनीकी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि परिचालन स्तर पर भी बेहद जटिल होगी। तीनों सेनाओं को अपने संसाधनों, विशेषज्ञता और रणनीतिक दृष्टि का समन्वय करना होगा ताकि यह रक्षा कवच समयबद्ध तरीके से विकसित हो सके।
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CDS चौहान ने इस बात पर जोर दिया कि स्वदेशी अनुसंधान और विकास क्षमताओं को बढ़ाकर देश को आयात निर्भरता से मुक्त करना होगा। साथ ही, निजी और सार्वजनिक रक्षा उद्योगों को भी इस परियोजना में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ‘सुदर्शन चक्र’ के सफल क्रियान्वयन से भारत की वायु रक्षा क्षमता नई ऊंचाइयों तक पहुंचेगी और यह पड़ोसी देशों के मिसाइल खतरों के खिलाफ एक मजबूत ढाल साबित होगी।
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