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वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: समाधान के लिए हर महीने दो बार होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण केवल सर्दियों का मुद्दा नहीं है। अदालत अब पूरे वर्ष हर महीने दो बार सुनवाई कर अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपायों की निगरानी करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (1 दिसंबर 2025) को कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को केवल सर्दियों में सूचीबद्ध की जाने वाली “औपचारिक” समस्या की तरह नहीं देखा जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब इस मामले की सुनवाई हर महीने दो बार होगी ताकि अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधानों की निरंतर निगरानी की जा सके।

मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची की पीठ ने कहा कि पराली जलाने को राजनीति या अहंकार का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। CJI कांत ने सवाल उठाया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान भी पराली जल रही थी, फिर भी दिल्ली में साफ नीला आसमान कैसे दिखता था? इसका मतलब है कि अन्य कारण भी प्रदूषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

CJI ने कहा कि किसानों पर दोष मढ़ना उचित नहीं है, क्योंकि वे अदालत में ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते। उन्होंने केंद्र सरकार से CAQM, CPCB और अन्य एजेंसियों द्वारा लिए गए तत्काल और दीर्घकालिक कदमों की स्पष्ट जानकारी मांगी। यह मामला अब 10 दिसंबर को फिर सुना जाएगा।

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CJI ने कहा कि दिल्ली प्रदूषण मामले को केवल अक्टूबर-नवंबर में सूचीबद्ध करना पर्याप्त नहीं है, इसे पूरे वर्ष नियमित रूप से सुना जाना चाहिए। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि आज मामला सूचीबद्ध होने के कारण ही वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में सुधार दिख रहा है।

केंद्र सरकार की ओर से उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि पराली जलाना, वाहन प्रदूषण, निर्माण धूल, सड़क धूल और बायोमास जलाना प्रमुख कारण हैं, और सरकार प्रत्येक क्षेत्र में उठाए गए कदमों की विस्तृत सूची दे सकती है।

पीठ ने कहा कि COVID के दौरान पराली जलने के बावजूद आकाश साफ था, इसलिए अन्य कारकों पर ध्यान देना जरूरी है। अदालत ने एक सप्ताह के भीतर उन उपायों पर रिपोर्ट मांगी है, जो इन अन्य कारकों को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए हैं।

CJI ने अनियोजित शहरीकरण और बढ़ती कारों की संख्या को भी प्रदूषण का बड़ा कारण बताया और कहा कि देश के किसी भी शहर को इतनी आबादी या बहु-वाहन वाले घरों को ध्यान में रखकर विकसित नहीं किया गया।

पीठ ने कहा कि वह पूरे साल हर महीने दो बार इस मामले की निगरानी सुनिश्चित करेगी।

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