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मानहानि मामले में अभय चौटाला को तलब करने के आदेश को बरकरार, सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने अभय चौटाला को मानहानि मामले में तलब करने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज की। कोर्ट ने कहा कि प्रारंभिक साक्ष्यों से आरोप साबित नहीं होते।

सुप्रीम कोर्ट ने एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें हरियाणा जननायक जनता पार्टी (JJP) नेता अभय चौटाला के खिलाफ मानहानि मामले में तलब करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह मामला पूर्व आईपीएस अधिकारी परमवीर राठी द्वारा दायर किया गया था।

इससे पहले, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में समन आदेश को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि परमवीर राठी द्वारा दर्ज कराए गए प्रारंभिक साक्ष्यों से यह साबित नहीं होता कि अभय चौटाला ने वास्तव में वह कथित मानहानिकारक बयान दिया था, जिसका उल्लेख शिकायत में किया गया है।

हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि किसी भी व्यक्ति को केवल अनुमान या बिना ठोस सबूतों के आधार पर मानहानि मामले में आरोपी नहीं ठहराया जा सकता। मानहानि कानून के तहत यह साबित करना आवश्यक है कि आरोपी द्वारा दिए गए बयान से शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को ठोस नुकसान पहुंचा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया और कहा कि इस मामले में हस्तक्षेप की कोई ज़रूरत नहीं है। अदालत ने माना कि प्रस्तुत साक्ष्यों में अभय चौटाला की भूमिका स्पष्ट रूप से सिद्ध नहीं होती और समन जारी करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं है।

इस फैसले के बाद अभय चौटाला को बड़ी राहत मिली है। वहीं, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह निर्णय मानहानि मामलों में ठोस और विश्वसनीय सबूतों की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट करता है।

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