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नोएडा थाने में हिरासत में यौन उत्पीड़न के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश

नोएडा थाने में हिरासत में यौन उत्पीड़न के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और यूपी सरकार से जवाब मांगा है और सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का आदेश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (19 दिसंबर, 2025) को एक महिला वकील की याचिका पर केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। याचिका में नोएडा के एक पुलिस थाने में अवैध हिरासत और हिरासत में यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने गौतम बुद्ध नगर के पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि संबंधित अवधि की पुलिस थाने की सीसीटीवी फुटेज न तो हटाई जाए और न ही नष्ट की जाए, बल्कि उसे सीलबंद लिफाफे में सुरक्षित रखा जाए।

महिला वकील ने आरोप लगाया है कि 3 दिसंबर की देर रात, जब वह अपने मुवक्किल के लिए पेशेवर कर्तव्य निभा रही थीं, तब नोएडा के सेक्टर-126 थाने में उन्हें करीब 14 घंटे तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया। इस दौरान उनके साथ हिरासत में यौन उत्पीड़न, मारपीट, यातना और दबाव बनाया गया।

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याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने इसे बेहद गंभीर मामला बताते हुए कहा कि एक महिला वकील के साथ “यौन हिंसा” की गई और अवैध हिरासत में रखा गया। उन्होंने कहा कि यदि यह घटना दिल्ली से सटे नोएडा में हो सकती है, तो देश की स्थिति की कल्पना की जा सकती है।

पीठ ने कहा कि सामान्यतः इस तरह की याचिका को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत स्वीकार नहीं किया जाता और याचिकाकर्ता को संबंधित उच्च न्यायालय जाने की छूट दी जाती। हालांकि, आरोपों की गंभीरता और सीसीटीवी कैमरों के कथित रूप से बंद किए जाने के मुद्दे को देखते हुए अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई का फैसला किया।

याचिका में आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने सरकारी पिस्तौल याचिकाकर्ता की गर्दन पर रखकर उनसे मोबाइल फोन का पासवर्ड जबरन लिया और फर्जी मुठभेड़ की धमकियां दीं। साथ ही सीसीटीवी सिस्टम को जानबूझकर निष्क्रिय किया गया।

महिला वकील ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी को संबंधित पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और मामले की जांच एसआईटी या सीबीआई से कराने का निर्देश देने की मांग की है।

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