×
 

सुप्रीम कोर्ट का संकेत — नए ऑनलाइन गेमिंग कानून से नियमित प्रतियोगिताएं बाहर हो सकती हैं

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि नियमित प्रतियोगिताएं और टूर्नामेंट ऑनलाइन गेमिंग कानून के दायरे से बाहर रह सकते हैं, क्योंकि वे ‘जुआ’ या ‘सट्टेबाजी’ की श्रेणी में नहीं आते।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (4 नवंबर 2025) को यह मौखिक संकेत दिया कि नियमित प्रतियोगिताएं और टूर्नामेंट नए ऑनलाइन गेमिंग (प्रमोशन और रेगुलेशन) अधिनियम, 2025 के दायरे से बाहर रखे जा सकते हैं, क्योंकि इन्हें ‘जुआ और सट्टेबाजी’ की परिभाषा में शामिल नहीं किया जा सकता।

मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कौशल और प्रतिस्पर्धा पर आधारित ऐसे आयोजनों को प्रतिबंधित खेलों के साथ एक समान नहीं माना जा सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह कानून मुख्य रूप से उन ऑनलाइन खेलों पर केंद्रित है, जिनमें वास्तविक धन (Real Money Games) का लेनदेन होता है और जो लोगों को सट्टेबाजी के लिए प्रेरित करते हैं।

ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 में वास्तविक धन से खेले जाने वाले गेम, उनसे जुड़ी बैंकिंग सेवाओं और विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है। सरकार का दावा है कि इस कानून का उद्देश्य युवाओं को जुए और ऑनलाइन वित्तीय धोखाधड़ी से बचाना है।

और पढ़ें: डीएमके ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, कहा- एसआईआर असल में एनआरसी जैसा कदम

हालांकि, कई याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को चुनौती दी है, यह कहते हुए कि यह ई-स्पोर्ट्स, कौशल-आधारित गेम और ऑनलाइन टूर्नामेंटों जैसे वैध क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगा। उनका कहना है कि ऐसे खेलों में ‘कौशल’ प्रमुख तत्व होता है, न कि ‘भाग्य’।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर 2025 के लिए तय की है। अदालत के इस रुख को उद्योग जगत के लिए राहत के संकेत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इससे भारत में ऑनलाइन गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स उद्योग को स्पष्ट कानूनी परिभाषा मिलने की संभावना बढ़ी है।

और पढ़ें: दिल्ली-एनसीआर प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, सीएक्यूएम से रोकथाम उपायों पर शपथपत्र मांगा

 
 
 
Gallery Gallery Videos Videos Share on WhatsApp Share