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राजनीतिक दलों को ₹2000 तक नकद चंदा रोकने की मांग पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट राजनीतिक दलों को ₹2000 तक नकद चंदा देने की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करेगा। याचिका में पारदर्शिता बढ़ाने और नकद दान पूरी तरह रोकने की मांग की गई है।

सुप्रीम कोर्ट जल्द ही एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें राजनीतिक दलों को ₹2000 तक नकद चंदा लेने की अनुमति पर रोक लगाने की मांग की गई है। वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 13A के क्लॉज (d) के तहत राजनीतिक दलों को ₹2000 तक के नकद दान पर टैक्स छूट दी जाती है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रावधान का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है और यह राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता को कमजोर करता है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि नकद दान की इस सीमा का उपयोग बड़े पैमाने पर काले धन को राजनीतिक सिस्टम में प्रवाहित करने के लिए किया जाता है। चूंकि ₹2000 तक के दान पर दाता की पहचान बताने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए राजनीतिक दल बिना किसी पारदर्शिता या जवाबदेही के भारी नकद राशि एकत्र कर सकते हैं। याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि या तो इस प्रावधान को पूरी तरह समाप्त किया जाए या सभी तरह के दान को डिजिटल और ट्रैसेबल बनाया जाए, जिससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़े।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इसे विस्तृत सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। कोर्ट यह भी जांच करेगा कि क्या ₹2000 की नकद सीमा राजनीतिक नैतिकता और वित्तीय पारदर्शिता के सिद्धांतों के अनुरूप है। याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनावी बांड रद्द होने के बाद नकद दान राजनीतिक दलों के फंडिंग का एक बड़ा स्रोत बन सकता है, जिससे पारदर्शिता और भी कम हो जाएगी।

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अदालत अब यह तय करेगी कि क्या राजनीतिक पार्टियों के लिए नकद दान पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए या इस व्यवस्था में संरचनात्मक सुधार की आवश्यकता है। इस फैसले का राजनीतिक और चुनावी वित्त व्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।

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