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अरावली की परिभाषा पर सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान, विशेष पीठ करेगी सुनवाई

अरावली की परिभाषा बदलने पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया। CJI सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ 29 दिसंबर को मामले की सुनवाई करेगी।

अरावली पर्वतमाला की हालिया ‘पुनर्परिभाषा’ को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) लिया है। शीर्ष अदालत ने शनिवार, 27 दिसंबर 2025 को इस मामले को अपने संज्ञान में लेते हुए इसकी सुनवाई सोमवार, 29 दिसंबर 2025 को करने का फैसला किया है।

इस महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन न्यायाधीशों की एक विशेष अवकाश पीठ (स्पेशल वेकेशन बेंच) का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्य कांत करेंगे। इस पीठ में दो अन्य न्यायाधीश भी शामिल होंगे।

अरावली पर्वतमाला देश की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक मानी जाती है और यह पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है। हाल के दिनों में अरावली की परिभाषा में किए गए बदलावों को लेकर पर्यावरणविदों, कानूनी विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों ने गंभीर आपत्ति जताई है। आशंका जताई जा रही है कि परिभाषा में बदलाव से खनन, निर्माण और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो सकता है।

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सुप्रीम कोर्ट का स्वत: संज्ञान लेना इस बात का संकेत है कि अदालत इस मुद्दे को अत्यंत संवेदनशील और जनहित से जुड़ा मान रही है। सुनवाई के दौरान अदालत यह जांच कर सकती है कि अरावली की परिभाषा में बदलाव किस आधार पर किया गया, क्या यह पर्यावरण संरक्षण कानूनों के अनुरूप है और इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

कानूनी जानकारों का मानना है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला भविष्य में पर्यावरण संरक्षण और विकास परियोजनाओं के बीच संतुलन तय करने में अहम भूमिका निभा सकता है। देशभर की नजरें अब 29 दिसंबर को होने वाली इस सुनवाई पर टिकी है।

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