सैन्य प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हुए कैडेट्स की दुर्दशा पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट ने सैन्य प्रशिक्षण के दौरान विकलांग हुए कैडेट्स की दुर्दशा पर स्वतः संज्ञान लिया। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और आर. महादेवन की पीठ 18 अगस्त को सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने उन कैडेट्स की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लिया है जो सैन्य प्रशिक्षण के दौरान घायल होकर स्थायी या अस्थायी विकलांगता का शिकार हो जाते हैं। यह मामला तब सामने आया जब एक मीडिया रिपोर्ट में इन कैडेट्स की कठिनाइयों को उजागर किया गया।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ इस मामले की सुनवाई 18 अगस्त को करेगी। रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रशिक्षण के दौरान चोटिल होने वाले कई कैडेट्स को समय पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिलती और न ही उन्हें उचित पुनर्वास या वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इन कैडेट्स के पास अक्सर न्याय पाने के लिए कोई ठोस मंच नहीं होता। प्रशिक्षण के दौरान लगी चोटें न केवल उनके सैन्य करियर को प्रभावित करती हैं बल्कि उनके भविष्य की आजीविका पर भी असर डालती हैं।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला सशस्त्र बलों में कैडेट कल्याण और प्रशिक्षण सुरक्षा मानकों की समीक्षा का अवसर प्रदान कर सकता है। कोर्ट सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और सशस्त्र बलों से इस संबंध में जवाब तलब कर सकती है।