तमिल राजाओं और स्वतंत्रता सेनानियों को पहले नहीं मिला उचित सम्मान: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने कहा कि तमिल राजाओं और स्वतंत्रता सेनानियों को पहले उचित सम्मान नहीं मिला। उन्होंने गुमनाम नायकों को पहचान देना ‘विकसित भारत’ के लिए जरूरी बताया।
उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने कहा है कि तमिलनाडु के कई महान राजा, नेता और स्वतंत्रता सेनानी ऐसे रहे हैं जिन्हें पहले उचित पहचान और सम्मान नहीं मिल पाया। उन्होंने कहा कि अब ऐसे गुमनाम नायकों को सम्मानित करने के प्रयास देश की सांस्कृतिक चेतना को पुनर्जीवित करने के लिए बेहद आवश्यक हैं। उपराष्ट्रपति यह बात रविवार (14 दिसंबर, 2025) को नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने सम्राट पेरुम्बिदुगु मुथरैयार द्वितीय के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट का विमोचन किया। उन्होंने कहा कि यह पहल तमिल इतिहास और संस्कृति के गौरवशाली अध्यायों को सामने लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उपराष्ट्रपति सचिवालय की ओर से सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक बयान में बताया गया कि श्री राधाकृष्णन ने तमिल संस्कृति और भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के निरंतर प्रयासों की सराहना की। उन्होंने काशी तमिल संगमम् जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करते हैं।
उन्होंने कहा कि तमिल राजाओं, नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान देना केवल अतीत को याद करना नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा को सशक्त करने का कार्य है। गुमनाम नायकों को पहचान देने से देश की सांस्कृतिक गर्व भावना को नई ऊर्जा मिलती है, जो ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की ओर बढ़ते भारत के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश और सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री एल. मुरुगन भी उपस्थित थे। उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मंत्री एल. मुरुगन ने कार्यक्रम में तमिल भाषा में संबोधन किया, जिसे उपस्थित लोगों ने सराहा।
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