तमिलनाडु ने एंटी-NEET बिल पर राष्ट्रपति की असहमति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया
तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति की असहमति को असंवैधानिक घोषित करने की याचिका दायर की; 2021 का एंटी-NEET बिल स्वचालित रूप से मंजूरी प्राप्त माना जाए।
तमिलनाडु ने शनिवार (15 नवंबर, 2025) को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, राष्ट्रपति की उस असहमति के खिलाफ जिसमें राज्य द्वारा राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के माध्यम से मेडिकल प्रवेश देने से छूट देने वाले प्रस्तावित कानून को मंजूरी नहीं दी गई।
राज्य द्वारा दायर मूल याचिका में वरिष्ठ वकील पी. विल्सन ने इसे तैयार किया और वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी तथा वकील मिशा रोहतगी ने प्रतिनिधित्व किया। याचिका में कहा गया कि राष्ट्रपति द्वारा The Tamil Nadu Admission to Undergraduate Medical Degree Courses Bill, 2021 को मंजूरी न देने से “गंभीर संवैधानिक संकट” उत्पन्न हुआ है।
तमिलनाडु ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि राष्ट्रपति की यह असहमति अवैध और असंवैधानिक घोषित की जाए और यह कहा कि 2021 का यह बिल स्वचालित रूप से मंजूरी प्राप्त माना जाए। राज्य ने जोर देकर कहा है कि इस बिल के माध्यम से तमिलनाडु के विद्यार्थियों को मेडिकल प्रवेश के लिए NEET पर निर्भर न रहना पड़े और राज्य की शिक्षा नीति के अनुसार स्थानीय स्तर पर प्रवेश दिया जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाया गया कि राष्ट्रपति की असहमति ने राज्य की नियामक और प्रशासनिक क्षमता पर प्रभाव डाला है। राज्य सरकार ने कहा कि छात्रों और अभिभावकों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस बिल को जल्द लागू करना आवश्यक है।
इस कदम को तमिलनाडु सरकार की NEET विरोधी नीति के समर्थन में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक फैसला माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस संवैधानिक मुद्दे पर निर्णय करेगा कि राष्ट्रपति की असहमति कितनी वैध है और क्या यह राज्य द्वारा पारित कानून पर रोक लगाती है।
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