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टीसीएस कर्मचारियों की संख्या में गड़बड़ी का आरोप, बेंगलुरु में यूनियनों का प्रदर्शन

टीसीएस कर्मचारियों की संख्या में विसंगति के आरोप पर यूनियनों ने बेंगलुरु में प्रदर्शन किया। नई 225 बिल योग्य दिन नीति को शोषणकारी बताया गया।

आईटी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के खिलाफ यूनियनों ने कर्मचारियों की संख्या में गड़बड़ी और शोषणकारी नीतियों का आरोप लगाते हुए बेंगलुरु में प्रदर्शन किया। यूनियनों ने कहा कि कंपनी के आधिकारिक कर्मचारी आंकड़ों में कई विसंगतियाँ पाई गई हैं, और कर्मचारियों की वास्तविक संख्या को लेकर पारदर्शिता नहीं बरती जा रही है।

प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों और यूनियन नेताओं ने कहा कि टीसीएस की नई डिप्लॉयमेंट नीति, जिसमें कर्मचारियों को साल में 225 बिल योग्य (billable) दिन पूरे करने की अनिवार्यता दी गई है, पूरी तरह शोषणकारी है। उनका कहना है कि यह नीति कर्मचारियों पर अनावश्यक दबाव डालती है और कार्य-जीवन संतुलन (work-life balance) को प्रभावित करती है।

यूनियन प्रतिनिधियों ने यह भी आरोप लगाया कि टीसीएस प्रबंधन द्वारा कार्यबल की संख्या में कृत्रिम कमी दिखाई जा रही है ताकि लागत घटाने और प्रदर्शन के आंकड़ों को बेहतर दिखाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह न केवल कर्मचारियों के अधिकारों का हनन है, बल्कि कॉर्पोरेट जवाबदेही के सिद्धांतों का भी उल्लंघन है।

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प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कंपनी कर्मचारियों की वास्तविक संख्या और नीति में बदलाव पर स्पष्टता प्रदान करे। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह आईटी कंपनियों की रोजगार नीतियों और अनुबंध शर्तों की पारदर्शिता सुनिश्चित करे।

टीसीएस की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। हालांकि, उद्योग विश्लेषकों का कहना है कि यह विरोध आईटी क्षेत्र में बढ़ते असंतोष और काम के दबाव को उजागर करता है।

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