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तेलंगाना हाईकोर्ट ने अनिवार्य तेलुगु पीआईएल पर सुनवाई स्थगित की; कहा इस मामले में कोई तत्काल आवश्यकता नहीं

तेलंगाना हाईकोर्ट ने अनिवार्य तेलुगु पीआईएल पर सुनवाई को स्थगित कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है और इसे आगे की तारीख पर लिया जाएगा।

तेलंगाना हाईकोर्ट ने अनिवार्य तेलुगु भाषा से संबंधित जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई को स्थगित कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तत्काल कोई आवश्यकता नहीं है और इसे भविष्य की तारीख पर लिया जाएगा। इस फैसले से तेलुगु भाषा को लेकर लंबित विवाद और चर्चा एक समय के लिए स्थगित हो गई है।

जानकारी के अनुसार, यह पीआईएल राज्य में स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में तेलुगु भाषा को अनिवार्य करने से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने अदालत से मांग की थी कि बच्चों की शिक्षा में तेलुगु भाषा अनिवार्य रूप से शामिल की जाए ताकि उनकी मातृभाषा और सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रहे।

हालांकि, कोर्ट ने मामले को देखते हुए कहा कि फिलहाल किसी प्रकार की तात्कालिक कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है। न्यायालय ने याचिकाकर्ता और राज्य सरकार दोनों को निर्देश दिए कि वे इस मामले पर आगे की तैयारी करके अगली सुनवाई में पेश हों।

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विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थगन इस बात का संकेत है कि कोर्ट इस मामले में सभी पहलुओं और संभावित प्रभावों का ध्यान रखते हुए निर्णय लेना चाहती है। तेलुगु भाषा के अनिवार्य होने या न होने का असर छात्रों की शिक्षा, शिक्षक तैयारियों और स्कूल पाठ्यक्रम पर पड़ सकता है।

राज्य में भाषा से जुड़े मामलों में न्यायालय की भूमिका अक्सर महत्वपूर्ण रही है। इस पीआईएल के स्थगन से राज्य में भाषा नीति और शिक्षा प्रणाली पर लंबी चर्चा जारी रहने की संभावना है। जनता और शिक्षा विशेषज्ञ अब अगली सुनवाई का इंतजार करेंगे, जिसमें कोर्ट अंतिम निर्णय दे सकती है।

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