यह दृष्टिकोण निंदनीय है : तेलंगाना हाईकोर्ट ने वारंगल नगर आयुक्त को 14 साल से नोटिस का कोई जवाब न देने पर व्यक्तिगत हाजिरी के लिए तलब किया
तेलंगाना हाईकोर्ट ने वारंगल के नगर आयुक्त को 14 साल से नोटिस का जवाब न देने पर व्यक्तिगत हाजिरी के लिए तलब किया और इसे पुराने दृष्टिकोण के रूप में खारिज किया।
तेलंगाना के उच्च न्यायालय (HC) ने वारंगल नगर आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से हाजिरी देने के लिए तलब किया है। यह कार्रवाई उस समय हुई जब आयुक्त ने अदालत द्वारा जारी नोटिस का 14 साल तक कोई जवाब नहीं दिया।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “यह दृष्टिकोण पुराना और अप्रचलित है कि नोटिस का जवाब न देना चलेगा। किसी भी सरकारी अधिकारी के लिए यह आवश्यक है कि वह न्यायालय के नोटिसों का समय पर जवाब दें।”
अदालत ने स्पष्ट किया कि नोटिसों का पालन करना और समय पर जवाब देना सरकारी प्रशासन और जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। वारंगल नगर आयुक्त की 14 साल की अनदेखी को अदालत ने गंभीर दृष्टि से देखा और व्यक्तिगत हाजिरी तलब की।
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न्यायालय ने यह भी कहा कि अधिकारी का यह रवैया न्यायिक प्रक्रिया के सम्मान के खिलाफ है और इसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने आगामी सुनवाई में आयुक्त से इस मामले में स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने को कहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में अदालत का सख्त रुख यह संदेश देता है कि सरकारी अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से बच नहीं सकते। नोटिसों का पालन और समय पर जवाब न देना प्रशासनिक लापरवाही के रूप में देखा जाएगा।
इस आदेश से न केवल वारंगल नगर निगम के अधिकारी बल्कि पूरे राज्य के सरकारी अधिकारी सावधान रहेंगे और न्यायालय द्वारा जारी नोटिसों का समय पर पालन करने की जिम्मेदारी समझेंगे।
हाईकोर्ट की यह कार्रवाई न्यायिक अनुशासन और सरकारी जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
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