द सिटी एंड आई: तिरुवनंतपुरम से दिल्ली तक की यात्रा ने सिखाया दुनिया को देखना
तिरुवनंतपुरम से दिल्ली की यात्रा ने लेखक को वास्तविकता को देखना और स्वीकार करना सिखाया, साथ ही दुनिया को बेहतर बनाने की आशा बनाए रखने का पाठ भी दिया।
“द सिटी एंड आई” एक व्यक्तिगत अनुभव है, जो लेखक की तिरुवनंतपुरम से दिल्ली तक की यात्रा का प्रतिबिंब प्रस्तुत करता है। यह यात्रा सिर्फ भौगोलिक नहीं थी, बल्कि एक मानसिक और आत्मिक सफर भी थी, जिसने लेखक को दुनिया को देखने का एक नया दृष्टिकोण सिखाया।
इस यात्रा ने लेखक से सभी अमूर्त विचारों और कल्पनाओं को हटाकर केवल वास्तविकता पर ध्यान केंद्रित करना सिखाया। अब वह केवल वही देख सकता था जो वास्तविक था, जो आँखों के सामने था। यह अनुभव लेखक को सुख-सुविधा की प्रतीक्षा छोड़ने और हर क्षण सचेत रहने की कला सिखा गया।
लेखक ने पाया कि जीवन की असली समझ उन चीज़ों में है, जो सामने होती हैं—भले ही वे कठिन हों, अनपेक्षित हों या चुनौतीपूर्ण। इस दृष्टिकोण ने उसे सिखाया कि दुनिया जैसी है, वैसी ही उसे स्वीकार करना, लेकिन साथ ही यह विश्वास बनाए रखना कि इसे बेहतर बनाया जा सकता है।
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तिरुवनंतपुरम की शांत गलियों से दिल्ली की हलचल भरी सड़कों तक, इस यात्रा ने लेखक के ध्यान, संवेदनशीलता और अवलोकन कौशल को नई दिशा दी। हर जगह और हर अनुभव ने उसे यह सिखाया कि केवल देखने से ही नहीं, बल्कि समझने और महसूस करने से ही जीवन का वास्तविक सार समझा जा सकता है।
लेखक का यह निबंध पाठकों को भी प्रेरित करता है कि वे अपने जीवन की रोज़मर्रा की घटनाओं में सचेत दृष्टि और सकारात्मक आशा के साथ देखें और समझें।