एक भी वास्तविक मतदाता हटाया गया तो ममता और अभिषेक SIR स्वीकार नहीं करेंगे : टीएमसी सांसद साकेत गोखले
साकेत गोखले ने कहा कि यदि SIR में एक भी वास्तविक मतदाता हटाया गया, तो ममता और अभिषेक इसे स्वीकार नहीं करेंगे। टीएमसी ने SIR की पद्धति पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग (EC) द्वारा की जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर जारी विवाद के बीच, टीएमसी ने इसे लेकर अपना विरोध तेज कर दिया है। शुक्रवार को टीएमसी के 10 सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार से मुलाकात की और आरोप लगाया कि SIR प्रक्रिया से राज्य में वास्तविक मतदाताओं के अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।
टीएमसी के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने स्पष्ट कहा कि अगर एक भी वास्तविक मतदाता को वोटर सूची से हटाया गया, तो ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी इस SIR प्रक्रिया को स्वीकार नहीं करेंगे।
गोखले ने कहा, “चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में मतदाता सूची में संशोधन करना शामिल है। हम SIR करवाने पर आपत्ति नहीं कर रहे हैं, हम उस तरीके पर सवाल उठा रहे हैं जिसके तहत यह किया जा रहा है।”
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उन्होंने आरोप लगाया कि SIR की प्रक्रिया में पारदर्शिता और संवेदनशीलता की कमी है। कई ऐसे मामलों की शिकायतें सामने आई हैं, जहां वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांग और श्रमिक वर्ग के लोगों को वोटर सूची से हटाने की कार्रवाई की धमकी दी गई या उन्हें दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में अनावश्यक परेशानियाँ पैदा की गईं।
टीएमसी का दावा है कि पश्चिम बंगाल को SIR के जरिए "टारगेट" किया जा रहा है, जबकि चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया कुल 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में समान रूप से चल रही है।
गोखले ने यह भी कहा कि टीएमसी किसी भी वास्तविक मतदाता को हटाने की अनुमति नहीं देगी और पार्टी हर ऐसे मामले में विरोध दर्ज कराएगी। उनके अनुसार, SIR की मौजूदा पद्धति लोगों में डर पैदा कर रही है और यह मतदाता अधिकारों का उल्लंघन है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगर स्थिति नहीं सुधरी, तो टीएमसी बड़े पैमाने पर राज्यभर में आंदोलन करेगी, क्योंकि मताधिकार से समझौता बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है।
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