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तमिलनाडु की नई बकरी-भेड़ प्रजनन नीति: हर ज़िले में न्यूक्लियस झुंड और सहकारी समितियों का प्रस्ताव

तमिलनाडु की नई नीति में हर ज़िले में न्यूक्लियस फार्म, श्रेष्ठ नस्लों का संरक्षण, कृत्रिम गर्भाधान और सहकारी समितियों के गठन के जरिए भेड़-बकरी उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य है।

तमिलनाडु सरकार ने हाल ही में तमिलनाडु बकरी एवं भेड़ प्रजनन नीति जारी की है, जिसका उद्देश्य राज्य में बकरी और भेड़ की नस्लों का संरक्षण, उन्नयन और उत्पादन क्षमता बढ़ाना है। 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, तमिलनाडु में भेड़ की संख्या 45 लाख और बकरियों की संख्या 98 लाख है, जो इस क्षेत्र में बेहतर प्रजनन प्रबंधन की आवश्यकता को दर्शाती है।

नई नीति में बकरियों के लिए ओपन न्यूक्लियस ब्रीडिंग सिस्टम और भेड़ों के लिए श्रेष्ठ मेढ़ों के चयन के साथ नस्ल सुधार की सिफारिश की गई है। इसका लक्ष्य स्थानीय नस्लों का संरक्षण करना और ICAR-NBAGR में इन्हें पंजीकृत करवाने के विकल्पों की खोज करना है।

नीति में कृत्रिम गर्भाधान (AI) को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है, जो पायलट प्रोजेक्ट्स के माध्यम से शुरू किया जाएगा, ताकि बकरियों और भेड़ों की आनुवंशिक क्षमता बढ़ाई जा सके। इसके लिए प्रत्येक ज़िले में न्यूक्लियस फार्म स्थापित किए जाएंगे, जो श्रेष्ठ प्रजनन स्टॉक उपलब्ध कराएंगे और उच्च गुणवत्ता वाले जर्मप्लाज्म के संवर्धन तथा प्रसार में मदद करेंगे।

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राज्य सरकार का मानना है कि इन न्यूक्लियस फार्मों के माध्यम से गैर-वर्णित (नॉन-डिस्क्रिप्ट) भेड़ और बकरी आबादी को उन्नत कर मांस उत्पादन में बड़ी वृद्धि संभव है। साथ ही, नीति में पशुपालकों के लिए सहकारी समितियाँ गठित करने की बात भी शामिल है, जिससे उन्हें वैज्ञानिक प्रजनन तकनीकों, प्रशिक्षण और बाज़ार तक उचित पहुँच मिल सके।

सरकार को उम्मीद है कि इस नई नीति से राज्य में पशुपालन क्षेत्र को बड़ी ऊर्जा मिलेगी, स्थानीय नस्लें संरक्षित होंगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

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