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श्रम संहिताओं के खिलाफ फरवरी 2026 में देशव्यापी हड़ताल की तैयारी

दस केंद्रीय ट्रेड यूनियन चार श्रम संहिताओं के विरोध में फरवरी 2026 में देशव्यापी हड़ताल करेंगी। यूनियन सरकार के “भ्रामक प्रचार” का मुकाबला करते हुए अभियान तेज करने की तैयारी में है।

देश की दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (CTUs) और विभिन्न क्षेत्रीय महासंघों ने केंद्र सरकार द्वारा चार श्रम संहिताओं (Labour Codes) को लागू करने के निर्णय के विरोध में फरवरी 2026 में देशव्यापी प्रत्यक्ष कार्रवाई, जिसमें आम हड़ताल भी शामिल है, आयोजित करने की घोषणा की है। यूनियनों ने मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि हड़ताल की सटीक तारीख 22 दिसंबर को प्रस्तावित बैठक में तय की जाएगी।

CTUs ने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार चारों श्रम संहिताएं वापस नहीं लेती। यूनियनों के अनुसार, श्रम संहिताओं के खिलाफ देशभर में व्यापक और तत्काल प्रतिक्रिया देखने को मिली है। 26 नवंबर को हजारों श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, जो मजदूर वर्ग में बढ़ती असंतोष की अभिव्यक्ति है।

बयान में कहा गया कि CTUs श्रमिक वर्ग के बीच अभियान को और तेज करेंगी और श्रम संहिताओं के बारे में सरकार और कॉर्पोरेट मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे “भ्रामक प्रचार” का पर्दाफाश करेंगी। यूनियनें दावा करती हैं कि ये श्रम संहिताएं नियोक्ताओं के हित में बनाई गई हैं और श्रमिकों के अधिकारों को कमजोर करती हैं।

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इसके अतिरिक्त, ट्रेड यूनियनों ने कहा कि वे संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के साथ भी समन्वय करेंगी, जो बीज विधेयक और बिजली संशोधन विधेयक, 2025 के खिलाफ आंदोलन कर रहा है। दोनों संगठनों का मानना है कि ये कानून किसानों और श्रमिकों दोनों के अधिकारों और आजीविका को प्रभावित करते हैं, इसलिए संयुक्त संघर्ष आवश्यक है।

CTUs ने कहा कि वे किसी भी सरकारी प्रयास का प्रतिरोध करेंगी जो इन श्रम संहिताओं को जबरन लागू करने की कोशिश करेगा। आंदोलन को सफल बनाने के लिए देशभर में जागरूकता अभियान, रैलियाँ और कार्यस्थलों पर बैठकें आयोजित की जाएंगी।

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