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स्वतंत्रता के बाद पहली बार उत्तर महाराष्ट्र के 4 आदिवासी बस्तियों में फहराया तिरंगा

स्वतंत्रता के बाद पहली बार उत्तर महाराष्ट्र की चार आदिवासी बस्तियों में तिरंगा फहराया गया। गांवों में न स्कूल है, न बुनियादी सुविधाएं, पर लोगों ने उत्साह से जश्न मनाया।

उत्तर महाराष्ट्र के दूरदराज के चार आदिवासी गांवों में स्वतंत्रता के बाद पहली बार तिरंगा फहराया गया। यह ऐतिहासिक घटना उस क्षेत्र में हुई जो मुंबई से लगभग 500 किलोमीटर और निकटतम तहसील मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है।

इन आदिवासी बस्तियों की कुल जनसंख्या लगभग 400 है। आश्चर्य की बात यह है कि यहां अब तक कोई सरकारी स्कूल भी नहीं है और न ही बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं। गांववाले पीढ़ियों से शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

स्थानीय प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रयास से इस बार स्वतंत्रता दिवस पर पहली बार तिरंगा फहराया गया। गांववालों ने इस आयोजन को उत्साहपूर्वक मनाया और इसे ‘‘नई शुरुआत’’ बताया। कार्यक्रम के दौरान बच्चों और युवाओं ने देशभक्ति गीत गाए, जबकि बुजुर्गों ने स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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गांव के निवासियों का कहना है कि उन्हें पहली बार लगा कि ‘‘देश की आज़ादी’’ उनके दरवाजे तक पहुँची है। उनका आग्रह है कि सरकार अब उनकी बस्तियों पर ध्यान दे, यहां स्कूल, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं।

अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र की भौगोलिक दुर्गमता और संसाधनों की कमी के कारण विकास कार्यों में देरी हुई है, लेकिन अब स्थिति सुधारने की कोशिश तेज की जाएगी।

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