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नेशनल गार्ड हमले के बाद ट्रंप का सख्त कदम: 19 देशों के प्रवासियों की ग्रीन कार्ड जांच का आदेश

नेशनल गार्ड हमले के बाद ट्रंप ने 19 देशों के प्रवासियों की ग्रीन कार्ड जांच का आदेश दिया। अफगान मूल के संदिग्ध पर हत्या प्रयास के आरोप लगे। मामला अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद जांच में बदला।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस के पास दो नेशनल गार्ड सैनिकों पर हुए हमले के बाद कठोर रुख अपनाते हुए 19 देशों के प्रवासियों की स्थायी निवास (ग्रीन कार्ड) स्थिति की व्यापक समीक्षा का आदेश दिया है। यह कदम एक अफगान मूल के संदिग्ध द्वारा किए गए “घात-शैली” हमले की प्रतिक्रिया में उठाया गया है।

यूएससीआईएस के निदेशक जोसेफ एडलो ने कहा कि उन्होंने “हर देश से आने वाले हर ऐसे प्रवासी के ग्रीन कार्ड की पुनः जांच” का निर्देश दिया है, जो अमेरिकी सुरक्षा के लिए चिंता का विषय हैं। इन 19 देशों में अफगानिस्तान, क्यूबा, हैती, ईरान और म्यांमार शामिल हैं।

एफबीआई ने इस मामले को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद की जांच के रूप में लिया है। संदिग्ध हमलावर रहमानुल्लाह लाकानवाल, 29 वर्षीय अफगान नागरिक, जिसने अमेरिकी सैनिकों के साथ अफगानिस्तान में काम किया था, कई राज्यों को पार करते हुए वॉशिंगटन डीसी पहुंचा था। बुधवार को व्हाइट हाउस से कुछ ब्लॉक की दूरी पर उसने .357 स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर से नेशनल गार्ड के जवानों पर गोलीबारी की।

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हमले में घायल साराह बेकस्ट्रॉम की बाद में मौत हो गई, जबकि अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हैं। संदिग्ध पर हत्या के प्रयास के तीन आरोप लगाए गए हैं, जो किसी भी जवान की मृत्यु की स्थिति में प्रथम-डिग्री हत्या में बदल दिए जाएंगे।

ट्रंप ने इस हमले को “शैतानी कृत्य” बताते हुए सभी आव्रजन आवेदनों—विशेषकर अफगानिस्तान से तुरंत रोकने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि “जो हमारे देश से प्रेम नहीं करते, उन्हें यहां रहने का अधिकार नहीं होना चाहिए।”

सीआईए निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने कहा कि लाकानवाल अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ सीआईए समर्थित ‘पार्टनर फोर्स’ का हिस्सा था और उसे अमेरिका में स्थानांतरित किया गया था। हालांकि, AfghanEvac समूह ने कहा कि अफगान शरणार्थियों पर सबसे कठोर सुरक्षा जांच लागू होती है और इस एक घटना के आधार पर पूरी समुदाय की छवि धूमिल नहीं की जानी चाहिए।

घटनाक्रम के बीच वॉशिंगटन में अतिरिक्त 500 सैनिक तैनात किए जा रहे हैं, जबकि इस कदम पर पहले ही कानूनी सवाल उठ चुके हैं।

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