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उधयनिधि स्टालिन ने संस्कृत को मृत भाषा कहा, BJP ने किया जोरदार पलटवार

उधयनिधि स्टालिन द्वारा संस्कृत को “मृत भाषा” कहने पर विवाद बढ़ा। बीजेपी ने कहा कि किसी भाषा को मृत बताना गलत है और नेताओं को जिम्मेदार बयान देने चाहिए।

तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उधयनिधि स्टालिन ने शुक्रवार (21 नवंबर 2025) को संस्कृत को “मृत भाषा” कहकर बड़ा विवाद खड़ा कर दिया। उनकी इस टिप्पणी पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसी भी भाषा को मृत कहना अनुचित और गैर-जिम्मेदाराना है, खासकर उस भाषा को जो आज भी देशभर में प्रार्थनाओं और धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग की जाती है।

उधयनिधि स्टालिन चेन्नई में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर तमिल भाषा के विकास के लिए केवल ₹150 करोड़ आवंटित करने पर असंतोष जताया। उन्होंने इसकी तुलना संस्कृत से करते हुए कहा कि संस्कृत, जिसे उन्होंने “मृत भाषा” कहा, को ₹2,400 करोड़ का बजट दिया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ‘भाषाओं के सम्मान’ के नाम पर असमानता को बढ़ावा दे रहा है।

उनकी इस टिप्पणी पर बीजेपी नेता तमिलिसाई सौंदरराजन ने नाराजगी जताते हुए कहा कि किसी भी भाषा को मृत कहना गलत मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भाषा को मृत घोषित करने का अधिकार नहीं रखता, खासकर जब वह भाषा आज भी पूजा-पाठ और सांस्कृतिक परंपराओं में जीवित है। उन्होंने कहा कि भाषा और संस्कृति को लेकर नेताओं को संवेदनशील और जिम्मेदार होना चाहिए।

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तमिलिसाई ने आगे कहा कि तमिल भाषा ने संस्कृत सहित कई अन्य भाषाओं के शब्दों को अपनाया है, जो उसकी समृद्धि और उदारता को दर्शाता है। उन्होंने टिप्पणी की कि किसी भाषा को कमतर दिखाकर दूसरी भाषा को बढ़ावा देना मूलतः गलत है और इससे समाज में विभाजन बढ़ता है।

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