यूके-इंडिया इंफ्रा ब्रिज: एक साल बाद भी परियोजनाओं की कमी, पहले नीतिगत बदलाव की सिफारिश
यूके-इंडिया इंफ्रा ब्रिज को एक साल बाद भी परियोजनाएं नहीं मिलीं। रिपोर्ट ने पहले नीतिगत सुधारों की सिफारिश की। क्रिस हेवर्ड ने भारत की प्रगति को सकारात्मक बताया, लेकिन और काम जरूरी माना।
यूके-इंडिया इंफ्रा ब्रिज पहल को शुरू हुए एक वर्ष पूरा हो गया है, लेकिन अब तक कोई ठोस परियोजना लागू नहीं हो सकी है। इस स्थिति को देखते हुए संस्था ने सुझाव दिया है कि बड़े निवेश और परियोजनाओं से पहले नीतिगत बदलावों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
सिटी ऑफ लंदन कॉरपोरेशन के नीति प्रमुख क्रिस हेवर्ड ने कहा कि भारत में नियामक माहौल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत “सही दिशा में बढ़ रहा है”, लेकिन अभी भी काफी काम किया जाना बाकी है। उनका मानना है कि यदि नीतियों और नियमों को और सरल व स्पष्ट बनाया जाए, तो विदेशी निवेशक भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में अधिक आत्मविश्वास से निवेश करेंगे।
इंफ्रा ब्रिज पहल का उद्देश्य भारत और ब्रिटेन के बीच बुनियादी ढांचे में सहयोग को बढ़ावा देना है। इसमें सड़क, रेल, ऊर्जा और शहरी विकास जैसी परियोजनाएं शामिल हो सकती हैं। हालांकि, एक वर्ष बाद भी कोई प्रत्यक्ष परियोजना जमीन पर उतर नहीं पाई है। इसके चलते विशेषज्ञों का मानना है कि नीति स्तर पर सुधार किए बिना इस सहयोग को गति नहीं मिल सकती।
क्रिस हेवर्ड ने कहा कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार किए हैं, लेकिन निवेशकों को स्थिर और पूर्वानुमान योग्य वातावरण की आवश्यकता है। इंफ्रा ब्रिज की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत-ब्रिटेन साझेदारी को मजबूत बनाने के लिए पहले नियमों और प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और स्थिरता लानी होगी।
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