हैदराबाद विश्वविद्यालय की स्टार्टअप ने लीवर फेलियर के लिए स्टेम सेल थैरेपी के सफल पशु परीक्षण की घोषणा की
हैदराबाद विश्वविद्यालय की एक स्टार्टअप ने लीवर फेलियर के इलाज के लिए स्टेम सेल थैरेपी ‘Tulsi-28X’ के सफल पशु परीक्षण की घोषणा की, जिससे भविष्य में इलाज की दिशा बदल सकती है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय की एक इनक्यूबेटेड स्टार्टअप कंपनी ने क्रॉनिक लीवर फेलियर (लिवर विफलता) के इलाज के लिए विकसित की गई स्टेम सेल आधारित थैरेपी ‘Tulsi-28X’ के सफल पशु परीक्षण की घोषणा की है। यह शोध लीवर रोगों के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत देता है, विशेष रूप से तब जब वर्तमान में लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र प्रभावी उपचार विकल्प माना जाता है।
भारत में क्रॉनिक लिवर फेलियर एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या बना हुआ है, जो विश्वभर में लिवर से जुड़ी कुल मौतों का लगभग 20% हिस्सा बनाता है। ऐसे में इस स्टार्टअप द्वारा विकसित की गई ‘Tulsi-28X’ नामक स्टेम सेल थैरेपी एक संभावित समाधान के रूप में उभर रही है।
स्टार्टअप द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पशुओं पर किए गए परीक्षणों के परिणाम अत्यंत उत्साहजनक रहे हैं, जिनमें लिवर की कार्यक्षमता में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। कंपनी का दावा है कि यह थैरेपी लिवर कोशिकाओं के पुनरुत्पादन को सक्रिय करती है और क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत में सहायक सिद्ध होती है।
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यह स्टार्टअप हैदराबाद विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर के तहत काम कर रही है और आने वाले महीनों में इंसानों पर क्लीनिकल ट्रायल की तैयारी कर रही है।
यदि इंसानी परीक्षणों में भी ऐसे ही सकारात्मक परिणाम मिलते हैं, तो ‘Tulsi-28X’ लीवर फेलियर से पीड़ित लाखों मरीजों के लिए एक सस्ता, प्रभावी और सुलभ इलाज बन सकता है।
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