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33 साल बाद सामने आया फर्जीवाड़ा: सहानुभूति आधार पर मिली यूपी सरकारी नौकरी की जांच में खुलासा

यूपी में 33 साल पहले सहानुभूति आधार पर मिली सरकारी नौकरी की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आया। दस्तावेज़ों में गड़बड़ी और धोखाधड़ी साबित होने पर कार्रवाई की तैयारी है।

उत्तर प्रदेश में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहाँ 33 साल पहले सहानुभूति आधार पर मिली सरकारी नौकरी अब फर्जी पाई गई है। जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक शिक्षक ने अपने पिता की मृत्यु के बाद सहानुभूति आधार पर नौकरी पाने के लिए गलत दस्तावेज़ और भ्रामक जानकारी का इस्तेमाल किया था।

जानकारी के मुताबिक, संबंधित शिक्षक को 1991 में यह नौकरी दी गई थी। उस समय दावा किया गया था कि परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कोई सदस्य नहीं था, इसलिए सहानुभूति आधार पर नौकरी दी गई। लेकिन हालिया जांच में पता चला कि नियुक्ति प्रक्रिया में धोखाधड़ी हुई थी और आवश्यक नियमों का पालन नहीं किया गया था।

जांच अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेज़ों की सत्यापन प्रक्रिया में कई गड़बड़ियाँ पाई गईं। रिपोर्ट के अनुसार, मृतक कर्मचारी के परिवार में उस समय पहले से ही कमाने वाले सदस्य मौजूद थे, लेकिन जानकारी छिपाकर नौकरी हासिल की गई।

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इस खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। अब विभाग इस बात पर विचार कर रहा है कि आरोपी शिक्षक के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए। संभावनाएं हैं कि उनकी सेवा समाप्त करने के साथ-साथ धोखाधड़ी के मामले में कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला न केवल सरकारी तंत्र की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि उन हजारों योग्य अभ्यर्थियों के साथ अन्याय भी है जिन्हें नियमों के अनुसार मौका मिलना चाहिए था।

सरकार ने आश्वासन दिया है कि ऐसे मामलों की गहन जांच होगी ताकि भविष्य में सहानुभूति आधार पर नौकरी देने की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष बनाई जा सके।

 

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