कंबोडिया में साइबर गुलामी से छुड़ाए गए यूपी के युवक, भारत लाया गया
कंबोडिया में साइबर-फ्रॉड गिरोह द्वारा बंधक बनाए गए बागपत निवासी विकास राणा को भारतीय और कंबोडियाई अधिकारियों के संयुक्त प्रयास से बचाकर भारत लौटाया गया। शिकायत उनकी पत्नी ने की थी।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले का एक युवक, जिसे कथित रूप से कंबोडिया में साइबर-फ्रॉड सिंडिकेट द्वारा बंधक बनाकर रखा गया था, को सुरक्षित बचाकर भारत वापस लाया गया है। पुलिस ने शनिवार (22 नवंबर 2025) को इसकी जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार, विकास राणा, जो घेनौरा सिल्वर नगर गांव का निवासी है, रोजगार के उद्देश्य से कंबोडिया गया था। वहां पहुंचने के बाद उसे अवैध रूप से कैद कर लिया गया और साइबर-फ्रॉड गतिविधियों में ज़बरदस्ती शामिल होने के लिए मजबूर किया गया।
विकास राणा की पत्नी डॉली ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके पति को उनकी इच्छा के विरुद्ध ले जाया गया और धोखाधड़ी में काम करने के लिए मजबूर किया गया। शिकायत मिलने के बाद, एडीजी मेरठ ज़ोन और डीआईजी मेरठ रेंज ने बागपत साइबर सेल को तुरंत जांच शुरू करने के निर्देश दिए।
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प्रारंभिक जांच में यह पुष्ट हुआ कि राणा को ऐसे गिरोह ने फंसाया था, जो युवाओं को विदेश में नौकरी देने का झांसा देकर उन्हें साइबर धोखाधड़ी के रैकेट में धकेल देता है।
इसके बाद बागपत पुलिस ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) और कंबोडिया स्थित भारतीय दूतावास के साथ लगातार संपर्क बनाए रखा। लगातार समन्वय के बाद कंबोडियाई अधिकारियों ने राणा को उस कथित “स्लेवरी सेंटर” से मुक्त कराने में मदद की।
पुलिस के मुताबिक, विकास राणा को सुरक्षित रूप से भारत वापस भेज दिया गया है।
साइबर स्लेवरी एक उभरता हुआ अंतरराष्ट्रीय अपराध है, जिसमें लोगों को फर्जी नौकरी के लालच में विदेश बुलाकर ऑनलाइन ठगी रैकेट में जबरन काम कराया जाता है। कंबोडिया जैसे देशों में यह संगठित अपराध नेटवर्क के रूप में तेजी से फैल रहा है।
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