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अमेरिका और चीन में बंदरगाह शुल्क को लेकर नई तनातनी, वैश्विक समुद्री व्यापार में बढ़ेगी उथल-पुथल

अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे पर बंदरगाह शुल्क लागू करने की घोषणा की। इससे वैश्विक समुद्री व्यापार महंगा और अस्थिर होने की आशंका, COSCO को होगा बड़ा नुकसान।

अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर बढ़ने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों ने एक-दूसरे पर टिट-फॉर-टैट’ (Tit-for-Tat) बंदरगाह शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह कदम वैश्विक समुद्री व्यापार और आपूर्ति श्रृंखला में नई उथल-पुथल ला सकता है।

अमेरिका 14 अक्टूबर से विदेशी जहाज़ों पर नए बंदरगाह शुल्क (port fees) वसूलना शुरू करेगा। इसके जवाब में, चीन ने भी अपने बंदरगाहों पर अमेरिकी जहाज़ों के लिए समान शुल्क लागू करने का संकेत दिया है। इस पारस्परिक कर नीति से अंतरराष्ट्रीय माल ढुलाई की लागत में उल्लेखनीय वृद्धि होने की आशंका है।

विश्लेषकों के अनुसार, चीन की सरकारी स्वामित्व वाली कंटेनर शिपिंग कंपनी COSCO (China Ocean Shipping Company) इस फैसले से सबसे अधिक प्रभावित होगी। अनुमान है कि 2026 तक यह कंपनी अकेले ही इन शुल्कों से जुड़ी कुल अनुमानित $3.2 अरब (लगभग ₹26,600 करोड़) की लागत का लगभग आधा बोझ उठाएगी।

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व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति न केवल अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि दोनों देश अपने रणनीतिक आर्थिक हितों की रक्षा के लिए कठोर रुख अपनाने को तैयार हैं। बंदरगाह शुल्कों में यह बढ़ोतरी वैश्विक शिपिंग कंपनियों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में और अधिक दबाव पैदा कर सकती है।

अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार पहले से ही ऊर्जा कीमतों और क्षेत्रीय संघर्षों के कारण अस्थिर है। अब इन नए शुल्कों से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की लागत और समय दोनों पर गहरा असर पड़ने की संभावना है।

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