अमेरिकी जज ने ट्रंप के 1 लाख डॉलर H-1B वीज़ा शुल्क के खिलाफ कारोबारी समूह की याचिका खारिज की
अमेरिकी अदालत ने ट्रंप सरकार के 1 लाख डॉलर H-1B वीज़ा शुल्क को वैध ठहराया, कहते हुए कि यह आव्रजन को नियंत्रित करने के राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में आता है।
अमेरिका की एक संघीय अदालत ने मंगलवार (23 दिसंबर 2025) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए H-1B वीज़ा पर लगाए गए 1 लाख डॉलर के शुल्क के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। यह याचिका अमेरिका के सबसे बड़े कारोबारी संगठन, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से दायर की गई थी। वाशिंगटन डीसी की यूएस डिस्ट्रिक्ट जज बेरिल हॉवेल ने कहा कि आव्रजन को विनियमित करने के राष्ट्रपति के व्यापक अधिकारों के तहत यह फैसला वैध है।
जज हॉवेल ने चैंबर ऑफ कॉमर्स के उस तर्क को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि यह शुल्क संघीय आव्रजन कानून के खिलाफ है और इससे कई कंपनियों, अस्पतालों और अन्य नियोक्ताओं को नौकरियां और सार्वजनिक सेवाएं कम करनी पड़ेंगी। जज ने अपने आदेश में लिखा कि किसी नीति की समझदारी या राजनीतिक विवेक पर बहस करना अदालतों का काम नहीं है। जब तक नीति के तहत उठाए गए कदम कानून की सीमा में हैं, तब तक उसे बरकरार रखा जाना चाहिए।
डेमोक्रेटिक पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त जज हॉवेल ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने इस दावे के समर्थन में पर्याप्त आधार दिए हैं कि H-1B कार्यक्रम अमेरिकी श्रमिकों को विस्थापित कर रहा है। उन्होंने उन कंपनियों के उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने हजारों अमेरिकी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, लेकिन साथ ही H-1B वीज़ा के लिए आवेदन भी किए।
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यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य कानूनी सलाहकार डेरिल जोसेफर ने फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि कई छोटे और मध्यम व्यवसाय इस भारी शुल्क को वहन नहीं कर पाएंगे। उन्होंने आगे कानूनी विकल्पों पर विचार करने की बात कही।
H-1B वीज़ा कार्यक्रम के तहत अमेरिकी नियोक्ता विशेष क्षेत्रों में प्रशिक्षित विदेशी कामगारों को नियुक्त कर सकते हैं। हर साल 65,000 वीज़ा जारी किए जाते हैं, जबकि उच्च डिग्री धारकों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीज़ा उपलब्ध होते हैं।
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