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गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं पर वीएचपी की रोक को लेकर सियासी टकराव

वीएचपी की गैर-हिंदुओं पर गरबा प्रतिबंध सलाह पर राजनीति गरमा गई। भाजपा मंत्री ने इसे अधिकार बताया, जबकि कांग्रेस नेता ने समाज को धर्म के आधार पर बांटने की साजिश कहा।

गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की ओर से जारी सलाह को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे पर एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने वीएचपी की इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि धार्मिक आयोजनों में प्रवेश को लेकर नियम बनाना पूरी तरह से समुदाय का अधिकार है। उनके अनुसार, गरबा जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों की पवित्रता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक कदम है।

वहीं, कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि वीएचपी समाज को धर्म के आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे कदमों का उद्देश्य केवल राजनीतिक लाभ लेना है। वडेट्टीवार ने यह भी कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत समावेशिता और भाईचारे पर आधारित है, ऐसे में किसी भी धार्मिक आयोजन से गैर-हिंदुओं को बाहर रखना संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

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इस मामले पर सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने भी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि धार्मिक आयोजनों को राजनीति का मंच बनाना सही नहीं है। कुछ ने चेतावनी दी कि इससे समाज में अविश्वास और विभाजन बढ़ सकता है।

गौरतलब है कि नवरात्रि के दौरान गरबा सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं होता, बल्कि सांस्कृतिक उत्सव के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में इस विवाद ने इसे और ज्यादा राजनीतिक रंग दे दिया है।

इस प्रकार, गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं की भागीदारी को लेकर छिड़ा यह विवाद अब राष्ट्रीय बहस का विषय बन गया है और आने वाले दिनों में इसके और गहराने की आशंका है।

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