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स्थानीय निकाय चुनावों में VVPAT अनिवार्य नहीं: महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट को बताया

महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने हाई कोर्ट को बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट अनिवार्य नहीं है और तकनीकी रूप से संभव भी नहीं। याचिकाकर्ता ने बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है।

महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार (19 नवंबर 2025) को बॉम्बे हाई कोर्ट के समक्ष स्पष्ट किया कि स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट (VVPAT) मशीनों का उपयोग अनिवार्य नहीं है और तकनीकी रूप से यह संभव भी नहीं है। आयोग ने नागपुर पीठ में कांग्रेस नेता प्रफुल्ल गुदाधे की याचिका का विरोध करते हुए एक हलफनामा दाखिल किया। इस याचिका में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में वीवीपैट के उपयोग से इंकार करने के आयोग के निर्णय को चुनौती दी गई थी।

गुदाधे ने अपनी याचिका में कहा कि वीवीपैट पारदर्शी मतदान व्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है। सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अनिल किलोर की अगुवाई वाली पीठ ने आयोग से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद वीवीपैट का उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा।

आयोग के वकील ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश सिर्फ लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर लागू होता है, न कि स्थानीय निकाय चुनावों पर। उन्होंने यह भी बताया कि 2017 के नगरपालिका चुनावों में भी वीवीपैट का उपयोग नहीं किया गया था।

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आयोग ने अपने हलफनामे में कहा कि स्थानीय निकायों से संबंधित अधिनियमों में वीवीपैट का उपयोग अनिवार्य नहीं है। इसके अलावा, बहु-सदस्यीय और बहु-पद निर्वाचन क्षेत्रों में उपयोग के लिए उपयुक्त वीवीपैट मशीनों का डिजाइन और निर्माण तकनीकी रूप से संभव नहीं है। जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक-सदस्य और एक-पद वाले होते हैं, जिनके लिए ईवीएम विशेष रूप से तैयार की जाती है।

मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों का पहला चरण 2 दिसंबर को होना है।

गुदाधे की याचिका में मांग की गई कि यदि वीवीपैट का उपयोग नहीं किया जा रहा है, तो चुनाव बैलेट पेपर से कराए जाएं, अन्यथा आयोग के निर्णय को रद्द किया जाए। याचिका में यह भी कहा गया कि मतदाता का अधिकार है कि वह सुनिश्चित कर सके कि उसका वोट सही ढंग से दर्ज हुआ है।

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