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कौन तय करता है केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं में नामांकन? - विस्तृत विश्लेषण

केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा नामांकन की प्रक्रिया पर बहस जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में ‘ट्रिपल चेन ऑफ कमांड’ स्पष्ट की और पुदुच्चेरी में नामांकन अधिकार केंद्र के पक्ष में माना।

केंद्रशासित प्रदेशों की विधानसभाओं में सदस्यों के नामांकन का अधिकार किसके पास है, इसे लेकर कई बार विवाद हुआ है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सदस्यों की अनुशंसा कैसे होनी चाहिए, और पुदुच्चेरी विधानसभा के नामांकन में केंद्र की क्या भूमिका है, यह मुद्दा चर्चा में है।

जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में: संविधान के अनुच्छेद 239A और राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत यह स्पष्ट नहीं है कि नामांकन की प्रक्रिया राज्यपाल के विवेकाधिकार पर होगी या केंद्र सरकार की सिफारिश पर।

पुदुच्चेरी के मामले में: केंद्रशासित प्रदेश शासन अधिनियम, 1963 की धारा 3(3) के अनुसार, केंद्र सरकार के पास विधानसभा में तीन सदस्यों को सीधे नामित करने का अधिकार है। इस पर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार को उपराज्यपाल की सलाह से सीधे नामांकन करने का अधिकार है और इसे विधानसभा की सिफारिश की आवश्यकता नहीं।

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सुप्रीम कोर्ट की ‘ट्रिपल चेन ऑफ कमांड’ (2023): सर्वोच्च न्यायालय ने यह व्यवस्था दी कि केंद्रशासित प्रदेशों में तीन-स्तरीय कमांड स्ट्रक्चर होना चाहिए—

  1. निर्वाचित सरकार की जवाबदेही विधानसभा के प्रति,
  2. उपराज्यपाल की जवाबदेही राष्ट्रपति के प्रति,
  3. और राष्ट्रपति की जवाबदेही संसद के प्रति।

कानूनी स्थिति: जम्मू-कश्मीर में अभी भी यह स्पष्टता नहीं है कि नामांकन केवल केंद्र के निर्देश से होगा या उपराज्यपाल के विवेक पर। वहीं, पुदुच्चेरी में यह अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के पास है।

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