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क्यों BJP ने यूपी के विधायकों को जाति-आधारित बैठकों के खिलाफ दी खुली चेतावनी

2027 चुनावों से पहले भाजपा ने यूपी के विधायकों को जाति-आधारित बैठकों से दूर रहने की चेतावनी दी, ताकि पार्टी में गुटबाजी रोकी जा सके और संगठनात्मक एकता बनी रहे।

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश में अपने विधायकों और विधान परिषद सदस्यों (एमएलसी) को जाति के आधार पर किसी भी तरह की बैठकें करने के खिलाफ सख्त चेतावनी दी है। पार्टी का यह कदम 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले संगठन के भीतर बढ़ते जातिगत गुटबाजी को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

यह चेतावनी सार्वजनिक रूप से नए नियुक्त उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पंकज चौधरी की ओर से गुरुवार को दी गई। यह बयान उस बैठक के दो दिन बाद आया, जिसमें पार्टी के कई ब्राह्मण विधायक और एमएलसी लखनऊ में कुशीनगर से विधायक पी.एन. पाठक के आवास पर एकत्र हुए थे। इस बैठक में राज्य में ब्राह्मण समुदाय के साथ कथित भेदभाव को लेकर चर्चा की गई थी।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व को आशंका है कि इस तरह की जाति-आधारित बैठकें न केवल संगठनात्मक अनुशासन को कमजोर कर सकती हैं, बल्कि चुनाव से पहले पार्टी के भीतर मतभेदों को भी सार्वजनिक कर सकती हैं। भाजपा नेतृत्व यह संदेश देना चाहता है कि पार्टी का राजनीतिक एजेंडा जाति के बजाय विकास, सुशासन और सामूहिक संगठनात्मक हितों पर आधारित है।

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पंकज चौधरी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पार्टी मंच या पद का उपयोग किसी भी जातिगत एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को अनुशासनहीनता माना जा सकता है। पार्टी का मानना है कि जाति-आधारित समूहबंदी से विपक्ष को भाजपा पर हमला करने का मौका मिल सकता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति एक अहम भूमिका निभाती रही है, लेकिन भाजपा नेतृत्व फिलहाल संगठन के भीतर एकजुटता बनाए रखने और किसी भी तरह की अंदरूनी खींचतान को नियंत्रित करने के मूड में है। 2027 के चुनावों से पहले यह चेतावनी पार्टी के भीतर स्पष्ट संदेश के रूप में देखी जा रही है कि व्यक्तिगत या जातिगत पहचान से ऊपर संगठन सर्वोपरि है।

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