पाकिस्तान में महिलाओं ने तोड़ी परंपरागत दीवारें, बनीं फायरफाइटर – साहस की नई मिसाल
सैयदा मसूमा जैदी और अन्य महिला फायरफाइटर्स पाकिस्तान में साहस और समानता की नई मिसाल पेश कर रही हैं, दिखा रहीं हैं कि महिलाएं भी हर संकट का सामना कर सकती हैं।
पाकिस्तान जैसे परंपरागत और पुरुष प्रधान समाज में महिलाएं अब नई राह बना रही हैं। 23 वर्षीय सैयदा मसूमा जैदी ऐसी ही एक मिसाल हैं, जिन्होंने करांची के औद्योगिक क्षेत्र में भीषण आग से जूझकर कई जिंदगियां बचाईं। आग ट्रक और कार टायरों के गोदाम में लगी थी, जहां भयानक लपटें आसमान छू रही थीं। जैदी और उनकी पूरी टीम, जिसमें ज्यादातर पुरुष थे, ने घंटों तक संघर्ष कर आग पर काबू पाया।
जैदी का यह साहस पाकिस्तान में महिलाओं की भूमिका को नई दिशा देता है। देश में 2024 तक महिला फायरफाइटर्स का नाम तक सुनने को नहीं मिलता था, लेकिन अब महिलाएं धीरे-धीरे इस क्षेत्र में कदम रख रही हैं। पंजाब प्रांत में 2010 में शाजिया परवीन पहली महिला फायरफाइटर बनीं, जो अब प्रशिक्षक हैं। उनके बाद सिंध प्रांत (जहां कराची स्थित है) में 2024 में महिलाओं ने प्रशिक्षण लेकर इस पेशे में प्रवेश किया।
आज भी पाकिस्तान में महिला फायरफाइटर्स की संख्या 1% से भी कम है, लेकिन यह बदलाव का प्रतीक है। जैदी कहती हैं, “लोग पूछते हैं कि एक लड़की कैसे बचाव कर सकती है, लेकिन हर मिशन में हम यह साबित करती हैं कि महिलाएं भी कर सकती हैं।”
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सिंध इमरजेंसी सर्विस के प्रमुख डॉ. आबिद जलालुद्दीन शेख के अनुसार, सिंध में अब 50 महिला फायरफाइटर काम कर रही हैं और 180 प्रशिक्षण में हैं। उनके मुताबिक अब फोकस “टैबू तोड़ने” से आगे बढ़कर “परिणाम दिखाने” पर है।
सैयदा जैदी, अरीबा ताज और उनकी साथी महिलाएं आज पाकिस्तान की उस नई पीढ़ी की पहचान हैं, जो साबित कर रही हैं कि साहस का कोई लिंग नहीं होता।
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